केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के ताजा फैसलों में सबसे ज्यादा ध्यान दसवीं में बोर्ड परीक्षा फिर अनिवार्य करने के फैसले पर गया है। मगर बारीकी से गौर करें तो त्रिभाषा फॉर्मूला सख्ती से लागू करने का उसका निर्णय कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। इन दोनों फैसलों पर ठीक ढंग से अमल हो, तो स्कूली शिक्षा में खासा सुधार हो सकता है। मगर अहम सवाल यही है कि क्या सीबीएसई ने अपने निर्णयों पर अमल कराने के लिए पर्याप्त तैयारी कर ली है? मसलन, त्रिभाषा फॉर्मूला तभी ठीक से लागू हो सकती है, जब तक हिंदी भाषी इलाकों में अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं के शिक्षकों की सुलभ उपलब्धता हो। फिलहाल, बोर्ड का फैसला है कि अगले साल से 10वीं के छात्रों को बोर्ड इम्तिहान देना होगा। बोर्ड परीक्षा खत्म करने का निर्णय छात्रों के निरंतर एवं व्यापक मूल्यांकन की पद्धति लागू करने के इरादे से किया गया था। लेकिन इस पर उचित अमल नहीं हुआ। फिर ये फैसला सभी बोर्डों पर लागू नहीं हुआ।
नतीजतन, यह अवांछित स्थिति बनी कि जहां 2.3 करोड़ छात्र विभिन्न राज्य बोर्ड की परीक्षा दे रहे थे, वहीं सीबीएसई के तहत आने वाले 20 लाख छात्र बोर्ड परीक्षा नहीं दे रहे थे। सीबीएसई ने छह साल पहले दसवीं में बोर्ड की परीक्षा देने को वैकल्पिक कर दिया था। ताजा निर्णय के मुताबिक छात्रों के कुल अंकों का 80 प्रतिशत हिस्सा बोर्ड परीक्षा के आधार पर मिलेगा, जबकि 20 प्रतिशत हिस्सा आंतरिक मूल्यांकन पर आधारित होगा। सीबीएसई ने एक सर्वे किया था, जिसमें ज्यादातर राज्यों ने सहमति जताई थी कि दसवीं का बोर्ड परीक्षा अनिवार्य हो। एक सर्कुलर के जरिए स्कूलों को जल्द ही इस बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी। एक अन्य अहम फैसले में सीबीएसई ने यह सिफारिश करने का फैसला किया है कि तीन भाषाओं का फॉर्मूला मौजूदा छठी से आठवीं के साथ-साथ नौवीं और 10 वीं कक्षा तक लागू की जानी चाहिए। इसके तहत हिंदी, अंग्रेजी और आधुनिक भारतीय भाषा पढ़ाई जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि बोर्ड ने केंद्र को यह सिफारिश भेजने का भी समर्थन किया है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज भाषाएं तीन भाषा फार्मूला के तहत पढ़ाई जाएं, जबकि विदेशी भाषाएं चौथी भाषा के रूप में पढ़ाई जानी चाहिए। यह उचित फैसला है। इससे त्रिभाषा फॉर्मूले को उसकी भावना के अनुरूप लागू करना संभव हो सकेगा। आशा है, जल्द ही केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय इन अनुशंसाओं को मंजूरी दे देगा।
साभार-नया इंडिया
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