प्रदेश गठन से ही शिक्षा के सार्वभौमीकरण एवं गुणवत्ता संवर्द्धन की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। विषम भौगोलिक परिस्थिति के मुताबिक प्रत्येक अपवंचित क्षेत्र में शिक्षण की सुविधा छात्र-छात्राओं की पहुंच के भीतर उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती रहा है, किन्तु प्रदेश गठन के उपरान्त माध्यमिक स्तर पर हाईस्कूल व नए इंटर काॅलेज उच्चीकृत किए गए हैं। राज्य का बड़ा हिस्सा पर्वतीय है। ऐसे में विषम क्षेत्रों में नए विद्यालयों की स्थापना चुनौतिपूर्ण है। राज्य बनने के बाद से अब तक प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक विद्यालयों की पहुंच दूरदराज के क्षेत्रों तक होना उपलब्धि से कम नहीं है। विद्यालयों के लिए बजटीय व्यवस्था में समय की दरकार होती है। नए खुले विद्यालयों को कार्ययोजना बनाकर पटरी पर लाया जा रहा है। इन शिक्षण संस्थानों में विधिवत चरनोपरांत नियमित शिक्षकों की भर्ती के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। तथापि चयन संस्थानों द्वारा शिक्षकों की भर्ती में प्रक्रियात्मक विलंब के कारण कतिपय बार विद्यालयों में रिक्त पदों पर शिक्षकों की पुर्ति करने की चुनौती रही है। इसे पूरा करना विभाग की प्राथमिकता रहा है। इससे विद्यालयों में शौक्षिक माहौल सुधरने और इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
प्रदेश की विशेष भौगोलिक बनावट के मद्देनजर अधिकतर शिक्षक मैदानी व सुविधाजनक विद्यालयों में पदस्थापना के लिए प्रयास रहते हैं। इसे देखते हुए पारदर्शी स्थानांतरण नियमावली तैयारी की गई है, जिसके मुताबिक विद्यालयों का श्रेणीकरण करते हुए शिक्षकों के तबादले और पदोन्नति पर पदस्थापना की जा रही है। नई नियुक्ति में शिक्षकों को मात्र दुर्गम क्षेत्र के विद्यालयों में ही तैनाती दी जा रही है।
शिक्षा की गुणवत्ता संवर्द्धन और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या के मुताबिक छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रातियोगितात्मक परीक्षाओं के लिए तैयार करने को सीबीएसई पाठ्यक्रम अपनाया गया है। इससे सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। प्र्रदेश के समस्त जिलों में एक-एक राजीव गांधी आवासीय विद्यालय के साथ-साथ कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय संचालित किए जा रहें हैं। सरकार द्वारा प्रत्येक विकासखंड में माध्यमिक स्तर पर दो और प्रारंभिक स्तर पर तीन माॅडल स्कूल की स्थापना की गई है। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए ये स्कूल उभरें, इसके लिए अवस्थापना विकास, शौक्षणिक उपकरणो की उपलब्धता और गुणवत्ता संवर्द्धन के लिए विशेष चयन प्रक्रिया आरंभ की जा चुकी है।
राज्य में शिक्षा के सार्वभौमीकरण का प्रमाण ही है कि सकल नामांकन दर 85.35 फीसदी हो गई है। परिषदीय परीक्षा परिणाम में भी सुधार हुआ है। गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करने के लिए कार्यवाही चल रही है। कोशिश यह की जा रही है कि आधुनिकतम शौक्षिक तकनीकी का उपयोग कर छात्र-छात्राओं स्वतः ज्ञान का सर्जन करने को प्रोत्साहित किया जाए। प्रदेश में माध्यमिक स्तर पर ही तकरीबन 3500 विद्यालय संचालित हो रहे है, इसमें 2250 राजकीय और 383 सहायता प्राप्त विद्यालय है। विद्यालयी शिक्षा परिषद् ने अंग्रेजी माध्यम ये भी शिक्षण कार्य किए जाने की मान्यता शुरू कर दी है। वहीं शिक्षकों एंव अभिकर्मियों की व्यावसायिक दक्षता के लिए माध्यमिक स्तर के शिक्षकों एंव संस्थाध्यक्षों का नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा हैं।
लेखक-आरके कुंवर( माध्यमिक शिक्षा निदेशक)
साभार-दैनिक जागरण
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