तकनीकी विकास क्या इंसानों के लिए बनेगा बड़ा खतरा

दुनिया भर के वैज्ञानिक महसूस करने लगे हैं कि तकनीकी विकास से मानव जाति के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। इसके कारण ही आज सांस लेने के लिए न तो शुद्ध हवा है और ना पीने का स्वच्छ जल। कई तरह के रसायन और कीटनाशकों के कारण खाद्यान्न पहले से ही प्रदूषित हो चुके हैं, इसलिए वे टिकाऊ विकास पर जोर दे रहे हैं, लेकिन असली खतरा तो अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पैदा हो गया है। अमेरिका और चीन जैसे देश एआई से संचालित रोबोट का उपयोग जंग में सैनिकों की जगह करने की तैयारी कर रहे हैं। एआई के खतरे के बारे में पता तब चला जब सॉफ्टवेयर इंजीनियर एक प्रयोग कर रहे थे। दरअसल, 2017 में फेसबुक के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों ने एक प्रयोग किया था। इस प्रयोग के दौरान एक इंजीनियर ने कहा, चलो इंसानों से नहीं, मशीनो की आपस में बात कराते हैं। फिर उन्होने उनका नाम बॉब और एलिस रखा। जब ये दोनों आपस में बात कर रहें थे,तब इंजीनियरो को ये पता नहीं चला कि ये क्या बात कर रहे है। फिर इंजीनियरों को शोध के बाद पता चला कि इन्होंने अपने आप में एक गुप्त भाषा विकसित कर ली हैं। यह देख इंजीनियरों ने तुरंत इस कार्यक्रम को बंद कर दिया। क्या आप सोच सकते हैं कि बॉब और एलिस इंसानो से बचकर गुप्त भाषा विकसित करके एक-दूसरे से बात कर रहे थे। यह बेहद खमरनाक प्रयोग था। यह बताता है कि आगे जाकर एआई कितना खतरनाक होगा?
पांच साल पहले ही प्रोफेसर हॉकिंग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में कहा था, जिन्न बोतल से बाहर आ चुका हैं। वह इस बात से डरे हुए थे कि एआई एक ऐसी प्रजाति को सामने ले आएगा, जो इंसानों को बहुत पीछे छोड़ देगी। इसके बाद इंसान और रोबोट आमने- सामने खड़े हो सकते हैं। जाहिर है, ऐसा अगर हुआ, तो इंसान रोबोट के सामने कमतर ही साबित होगा। यह बात स्टीफन हॉकिंग ने नॉर्वे साइंस ऐंड आर्ट्स फेस्टिवल में कही थी।
इसमें कतई संदेह नहीं कि पिछले 70साल के दौरान दुनिया में नए- नए तकनीकी आविष्कारों और खोजों ने हमारा जीवन बदल दिया है। फिर डिजिटल का्रंति ने आर्थिक वृद्धि का नया इतिहास लिखा, जिसका आज पूरा समाज लाभ उठा रहा है। 1990 के दशक के बीच से लेकर 2000 के दशक के बीच तक ऐसा हुआ था और इसमें बहुत कुछ श्रेय असल में काम करने की जगहों में पर्सनल कंप्यूटर को दिया जाता है। तबसे हम इसका उपयोग कर रहे हैं, पर हमें आर्थिक समृद्धि का वह स्तर हासिल नहीं हुआ, जो डिजिटल टेक्नोलॉजी की वजह से ज्यादा बराबरी से बंटा हुआ हो सकता था। इसलिए हमें और ज्यादा व्यापक तकनीक की जरूरत है। इसकी एक झलक माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने अपनी किताब हिट रिफ्रेश मेें पेश की है। इसमें यह बताया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मिक्सड रियलिटी और क्वांटम कंप्यूटिंग से किस तरह आपकी जिंदगी बदलने वाली है।
आप असल दुनिया और वर्चुअल या आभासी दुनिया में फर्क तक नहीं कर पाएंगे। यह मिश्रित यथार्थ टेक्नोलॉजी के साथ कंप्यूटिंग का सबसे शानदार तजुर्बा माइक्रोसॉफ्ट रच रहा है। ऐसा अनुभव जिसमें आपकी देखने की जगह कंप्यूटिंग की सतह बन जाती है और डिजिटल दुनिया व आपकी भौतिक दुनिया आपस में मिलकर एक हो जाती है। स्टीफन हॉकिंग भविष्यवाणी कर गए हैं कि जेनेटिक एडिटिंग की तकनीक सुपरहयूमन महामानव की एक नई जाति को जन्म देगी। लोग अपने जीन में एडिटिंग करके किसी खास गुण को पा सकेंगे, किसी बुराई को छोड़ सकेंगे या किसी आनुवंशिक बीमारी को खत्म कर सकेगे। एक समय आएगा, जब इंसान खुद को तकनीक की मदद से डिजाइन कर रहा होगा।सुंदर पिचई ने कहा है कि एआई को लेकर सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। नए नियम बनाने चाहिए। हम नई तकनीक पर लगातार काम करते रह सकते हैं, लेकिन बाजार को उसके किसी भी तरह के इस्तेमाल की खुली छूंट नहीं होनी चाहिए। मगर क्या किसी नई तकनीक को बाजार से बचाया जा सकता है?
 ये लेखक के अपने विचार हैं 
लेखक-निरंकार सिंह पूर्व सहायक संपादक,हिन्दी विश्वकोश
साभार-हिन्दुस्तान

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