आज शिक्षा के क्षेत्र मेेेेेेेें भी बाजारीकरण हो जाने के कारण शिक्षा महँगी और गरीबों की पहुंच से बाहर हो चुकी है। एक ओर तो रूचि और उपयोगिता के अनुसार उपयुक्त शिक्षा पाने के लिए गरीबो के पास धन उपलब्ध नहीं है, तो वहीं जो सम्पन्न है उनके पास समय का आभाव हैं। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था एक बेहत्तर विकल्प के तौर पर उभरी है। पिछले वर्ष देश के गरीब और स्कूल ना जा सकने वाले बच्चों के लिए सरकार की ओर से प्रभावी कदम उठाते हुए ई-शिक्षा व्यवस्था की शुरूवात करते हुए ‘स्वयं डॉट जीओवी डॉट इन‘ वेब पोर्टल की शुरूवात की गई है। इससे बच्चे ऑनलाइन शिक्षा पा सकेंगे। इससे छात्रों को घर बैठे ही सर्टिफिकेट और डिग्री भी हासिल होंगे, जो किसी भी विश्वविद्यालय में मान्य होंगे। ऑनलाइन एजुकेशन के प्रति लोगों का बढ़ता उत्साह देखकर कहा जा सकता है कि भारत में इसका भविष्य उज्जवल है यही कारण है कि अब अधिकतर शिक्षण संस्थान इस व्यवस्था को अपना रहे हैं। पढ़ाई का बढ़ता खर्च और किसी भी प्रोफेशनल कोर्स की डिग्री प्राप्त करने के लिए कॉलेजों का चुनाव, प्रवेश परीक्षा और फिर एक साथ मोटी फीस चुकाना युवाओं की बढ़ती संख्या के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा हैं भार में केवल बारह प्रतिशत छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश मिलता है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा देने वाली कम्पनियों के लिए भारत एक बहुत बड़ा बाजार बन गया है। आज एक दूसरे को समझने जानने की जिज्ञासा भी लोगो में बढ़ी हुई देखी जाती हैं ऐसे में किसी देश की भाषा सीखना आवश्यक हो जाता है क्योंकि भाषा सीखने से उस देश की संस्कृति तथा अन्य बातें समझी जा सकती हैं। इसलिए भारत के प्रति भी रूचि बढ़ी हैं और हिंदी सीखने-सिखाने की मांग भी बढ़ी हैं। यह भारत के लिए, विशेषकार हिन्दी भाषा के लिए शुभ संकेत है।
साभार - किरन इंस्टीटृयूट
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