मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की बागडोर संभालते ही बुनियादी शिक्षा में सुधार पर बल दिया। ‘स्कूल चलो अभियान’ की ठोस और प्रभावी शुरुआत करने वाले वह पहले मुख्यमंत्री हैं। यही कारण है कि बुनियादी शिक्षा की तस्वीर अब बदल चुकी है। चाहे गुणवत्ता की बात हो या मूलभूत सुविधाओं की, हर क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य हुआ है।
प्रेरक प्रदेश बनाने का लक्ष्य
राज्य सरकार ने यूपी को बुनियादी शिक्षा में वर्ष 2023 तक प्रेरक प्रदेश बनाने का लक्ष्य रखा है। इसमें जारी प्ररेणा सूची के मुताबिक 80 प्रतिशत छात्र-छात्राओं द्वारा वर्ष 2023 तक काम्टिेंसी प्राप्त कियें जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रेरक स्कूल, प्ररेक ब्लाॅक व प्रेरक जिलों का चयन होगा। विद्यालय/प्रेरक विकासखण्ड के थर्ड पार्टी मूल्यांकन के लिए राज्य सरकार ने थर्ड पार्टी का चयन किया है। ताकि क्रियान्वयन में होने वाली परेशानियों को दूर किया जा सके।
गुणवत्ता के लिए मिशन प्रेरणा
मिशन प्रेरणा के सहारे बुनियादी शिक्षा की गुणवत्ता पर खास नजर है। बुनियादी भाषा एवं गणित पर विशेष ध्यान देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सितम्बर 2019 में मिशन प्रेरणा की शुरुआत की। नई शिक्षा नीति भले ही पिछले वर्ष लागू हो गई हो लेकिन यूपी में काम पहले ही शुरू हो गया था। इस फ्रेमवर्क के अंतर्गत विद्यालयों तथा कक्षाओं के रूपांतरण के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। हर कक्षा में विषयवार सूची लगाई गई है। मसलन कक्षा 4 का बच्चा दो संख्याओं का भाग कर सके या हिन्दी में पाठ पढ़ कर सवालों के जवाब दे सके। इसके लिए एक नया लर्निंग आउटकम फ्रेमवर्क तैयार किया गया है।, जिसमें शिक्षकों को अधिकतम स्तरों की सूची भेजी गई है। इसी आधार पर कक्षाओं का संचालन हो रहा है।
प्रेरणा एप लांच हुआ
राज्य सरकार ने प्रेरणा एप लांच किया है। यह एक परिवर्तनात्मक असेसमेंट टूल है जिसके माध्यम से शिक्षकों व अभिभावकों को यह जानकारी मिल सकेगी कि बच्चों के सीखने का स्तर क्या है तथा उनकी कौन सी दक्षताओं के लिए अधिक ध्यान देना है। यह एप गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद है और पूर्णतः निःशुल्क है। एप का प्रयोग आॅफलाइन किया जा सकता है। इस एप में एनसीईआरटी द्वारा विषय विशेषज्ञों के माध्यम से बच्चों के उपयोगार्थ विस्तृत प्रश्नों का निर्माण किया गया है।
कक्षाओं का बदला स्वरूप
निजी स्कूलों की तर्ज पर स्कूलों को आकर्षक बनाने पर भी जोर है। कक्षाओं के शैक्षणिक परिवेश को छात्रों के बौद्धिक विकास के लिए अनुकूल बनाने हेतु प्रिंट समृद्ध बनाया जा रहा है। शिक्षकों की शिक्षण विधा एवं कौशल विकास के लिए हस्तपुस्तिकाएं एवं क्रियान्वयन संदर्शिकाएँ स्कूलों में उपलब्ध हैं। साथ ही डिजिटल वीडियो एवं प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षकों द्वारा शिक्षण तकनीकियो को आत्मसात किया जा रहा है। सभी परिषदीय विद्यालयों में पुस्तकालय हेतु 500 से 1000 एनसीईआरटी की पुस्तकों से युक्त क्रियाशील पुस्तकालय व रीडिंग कार्नर स्थापित किए जा रहे हैं। प्राइमरी कक्षाओं में छात्र-छात्राओं को एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग सिखाने के लिए एनसीईआरटी की गणित किट उपलब्ध करायी गई है। सभी अभिभावकों को छात्र-छात्राओं की प्रगति का रिपोर्ट कार्ड दिया गया है और स्कूल का रिपोर्ट कार्ड स्कूल में ही प्रदर्शित किया जा रहा है।
लेखक- दिशा जैन
साभार- हिन्दुस्तान
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