ताकि बच्चे जाएं स्कूल

कोरोना काल में शिक्षण संस्थानों के बंद रहने और विद्यार्थियों के अन्य कार्यों में ज्यादा व्यस्त रहने से विद्यार्थियों की स्कूल के प्रति रुचि कम हो गई है। स्थिति यह है कि अब शिक्षण संस्थानों की अपेक्षा कोचिंग क्लास में वे अधिक मौजूद रहने लगे हैं, जबकि वहां उन्हें अधिक शुल्क भी देना पड़ता है। कोचिंग क्लास के प्रति आकर्षण को फैशन, आदत, ज्ञानार्जन वृद्धि और प्रतियोगी भाव मानने से यह धंधा खूब फल-फूल रहा है। स्मार्टफोन ने भी इसे खूब तवज्जो दिलाई है। स्थिति यह है कि प्रादेशिक बोर्ड की परीक्षा को उत्तीर्ण करने के लिए परीक्षार्थियों में शाॅर्टकट साधन अपनाने की होड़ सी मची है। पाठ्य पुस्तको को खरीदने के बजाय वे गाइड, सरलमाला, गुटका, साॅल्वड पेपर आदि का अधिक प्रयोग कर रहें हैं। ऐसे में, शिक्षण संस्थाओं की तरफ विद्यार्थियों को आकर्षित करने की जरूरत है। इसके लिए यदि वहां की रीति-नीति में बदलाव की जरूरत हो, तो यह काम भी अवश्य किया जाना चाहिए।
बीए एल शर्मा, तराना, उज्जैन
साभार- हिन्दुस्तान

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