आज दुनिया पहले से कहीं ज्यादा जुड़ी हुई है। इंटरनेट की ताकत ने भौगोलिक, क्षेत्रीय, धर्म, जाति और भाषा की कई मानव निर्मित दीवारें तोड़ दी हैं। सूचनाओं का प्रवाह पहले से ज्यादा तेज है और इसका काफी गहरा प्रभाव होता है। हलांकि डिजिटाइनेशन की सबसे बड़ी उपलब्धि प्रभावी शासन और लोगों का सशक्तिकरण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा देश को ’डिजिटल राष्ट्र’ बनाने की है, जहां पर नागरिक सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा पेश की जा रही सेवाओं का लाभ उठाने के लिए पूरी तरह से इंटरनेट से जुड़ा रहेगा। सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का प्रमुख स्तंभ कनेक्टिविटी है। इसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री ने देश को डिजिटल रूप में समृद्ध समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने के लिए की है। मेरा काम इसे वास्तविकता के धरातल पर साकार करना है।
पिछले दो वर्षो में हमनें इस दिशा में कुछ महत्वणूर्ण प्रगति की है, जिसमें नकद लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है। देश की आजादी के साठ से ज्यादा वर्षो बाद भारत सरकार को अब गरीबों और हाशिये के लोगों के कल्याण के लिए चलाए जा गए कार्यक्रमों का पुरा लाभ उनके बैंक खातों में हस्तांतरित कर सकती है। इसने पहली बार बिचैलियों की भूमिका को खत्म कर दिया है। आधार की मदद से डीबीटी योजना के जरिये पिछले दो वर्षो में केन्द्र एंव राज्य कोषों के करीब 36,500 करोड़ रूपये बचाए गए हैं।
यदि मात्र दो वर्षो में इतना धन बचाया गया है, तो कल्पना कीजिए कि लम्बे समय तक डीबीटी के जरिये कितने धन की बचत हो सकती है! इस समय 17 मंत्रालयों द्वारा 74 डीबीटी योजनाएं चल रही है। सब मिलकार इन योजनाओं के जरिये करीब 30 करोड़ लोगों को 1.2 लाख करोड़ रूपये वितरित किए गए। यह डिजिटल व्यवस्था सुरक्षित है और रिसाव को रोकती है।
इससे लोगों को पेंशन, बैंकिंग, पासपोर्ट, वीजा, कराधान एंव अन्य आॅनलाइन सेवाओं में सुविधा हुई है। सरकार रोजगार कार्यालय, जन वितरण प्रणाली, कोषागार, भूमि रिकाॅर्ड, पुलिस, स्वास्थ्य ग्र्रामीण विकास और शहरी सुशासन से संबंधित सेवाएं प्रदान करने के लिए मिशन मोड के तहत ई-क्रांति के लिय प्रतिबद्ध है।
इस तरह भारत को डिजिटल रूप में समृद्ध बनाने का हमारा संकल्प है। हालांकि यह एक बहुत बड़ा काम है, लेकिन हम इसे संभंव बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आज हमारे देश में 1.02 अरब मोबाइल फोन है और 40 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट से उपयोगकर्ता। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन का बाजार है, जहां 13.8 करोड़ लोग फेसबुक उपयोगकर्ता हैं। इस मामले मे हम सिर्फ अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर हैं हमारे देश में 1.03 अरब लोगों की पहचान आधार के जरिये सत्यापित है और हम 30 लाख 48 हजार उपयोगकर्ता के साथ दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल लोकतांत्रिक मंच है। इसके अलावा, हम दुनिया की सबसे तेज विकास करती अर्थवयवस्था हैं दो वर्ष पहले हम मोबाइल का आयात करते थे, आज देश के विभिन्न हिस्सों में 35 मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को गति तो मिली ही है, 35 हजार रोजगार भी पैदा हुए।
हम डिजिटल राष्ट्र के निर्माण के सही रास्ते पर हैं, जिसके तीन महत्वपूर्ण चरण हैं। पहला चरण डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण है, जो लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी देंगा। हमारी उच्च गति वाले आॅप्टिकल फाइबर के जरिये सभी ढाई लाख गांव समूहो को जोड़ रही है। हमने पहले ही आधार के जरिये 1.25 अरब की आबादी में से 1.03 अरब लोगों की सत्यापित डिजिटल पहचान तैयार कर ली है।
दूसरे चरण डिजिटल अवसर पैदा करना है। कनेक्टिविटि से ही काम पूरा नहीं होता, यह तो विकास के लक्ष्य का साधन मात्र है। देश के लोगों की इंटरनेट तक पहुंच ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह जो आर्थिक अवसर उपलब्ध कराता है, लोगों को उसका फायदा उठानें में भी सक्षम होना चाहिए। डिजिटल सेवा प्रदान करना और डिजिटल अवसर पैदा करना सशक्तिकरण के लिए जरूरी है। दो लाख से ज्यादा साझा सेवा केन्द्रों के नेटवर्क के जरिये हम गांवों में डिजिटल सेवा प्रदान कर रहे हैं। इसने वित्तीय समावेशन में मदद की है, जो सरकार के लिए महत्वपूर्ण है और यह जैम (जनधन योजना, आधार और मोबाइल) के जरिये परिलक्षित हो रहा है। डिजिटाइनेशन सरकार के स्किल इंडिया और स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रमों को भी प्रोत्साहन देता है।
तीसरा चरण निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की नवोन्मेषी क्षमता को उजागर करना है। ई-गवर्नेंस से संबंधित सेवाओं और क्षेत्रीय भाषा सामग्रियों के जरिये वे समावेशी विकास की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे।
भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था का अभी व्यापक रूप से इस्तेमाल नहीं किया गया है और यह उपकरणों एंव एप्लीकेशन्स के विस्फोट की प्रतीक्षा कर रही है, जो देश के 1.2 अरब नगारिकों कों प्रासंगिक और परिवर्तनकारी सेवाओं का वायदा कर सकते हैं। लोग अकसर पूछते हैं कि क्या भारत गूगल या फेसबुक के अगले चरण का उदय देख सकेगा। हमें केवल गूगल या फेसबुक की तर्ज पर क्यों सोचना चाहिए? भारत वास्तव मे बड़ी डिजिटल कंपनियो का उदय देखेगा, लेकिन उसका विकास भारत और एशियाई संदर्भों के अनुरूप होगा। सरकार देश को डिजिटल राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां इंटरनेट से जुड़े नागरिक नवोन्मेष के वाहक बनेंगे। जहां सूचनाएं हासिल करने में कोई बाधा नहीं होगी। जहां सरकार पूरी तरह से खुली और शासन पारदर्शी होगा। जहां प्रौद्योगिकी यह सुनिश्चित करेगी कि सरकार और नागरिकों का संयोग ईमानदार होगा, जहां सरकारी सेवाएं लोगों को मोबाइल फोन पर आसानी से और प्रभावी ढंग से उपलब्ध हांेगी। जहां वैश्विक बाजारों से जुड़ने के लिए किसान रियल-टाइम इन्फोर्मेशन से सशक्त होंगे। डिजिटल इंडिया का सरकार का सपना नागरिकों को सशक्त बनाएगा।
लेखक- रवि शंकर प्रसाद (केन्द्रीय विधि एंव न्याय तथा इलेक्ट्राॅनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री)
( साभार-अमर उजाला)
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