देश भर के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में यह फैसला किया गया है कि तमाम शिक्षण संस्थान चरणबद्ध तरीके से खोले जाएंगे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री शफाकत महमूद के मुताबिक, देश के स्वास्थ्य हालात और छात्रों की पढ़ाई-लिखाई को हुए नुकसान की सावधान पड़ताल के बाद ही यह निर्णय किया गया है। हालांकि, यह देखते हुए कि पाकिस्तान में कोरोना संक्रमण की दर कम नहीं हुई है और अब कोविड-19 के नए स्ट्रेन सामने आ रहे हैं, सख्त सुरक्षा उपाय अपनाएं जाने की जरूरत है।
मंत्रियों के फैसले की तफसील के मुताबिक, पहले चरण में नौवीं से 12वीं तक के बच्चों के लिए 18 जनवरी से स्कूल खुलेंगे, जबकि दूसरे चरण में 25 जनवरी से पहले दरजे से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए स्कूल खोले जाएंगे। तीसरे चरण में 1 फरवरी से उच्च शिक्षण संस्थान खुलेंगे। इसके अलावा, 50 फीसदी उपस्थिति की नीति अपनाई जा रही है, जिससे प्रत्येक कक्षा में बच्चों की संख्या आधी रह जाएगी। जैसे हालात में हम इस वक्त जी रहे हैं, यह बिल्कुल मुनासिब उपाय है। ऑनलाइन शिक्षा से पैदा हुई पेचिदगियों के कारण काफी सारे छात्र अपनी माली हैसियत, सामाजिक माहौल, भौगोलिक स्थिति और मानसिक अवस्था के कारण खुद को मुश्किल में पा रहे थे। और इन सबसे भी बढ़कर, शैक्षणिक गुणवत्ता को नुकसान पहुंच रहा था। उम्मीद है, स्कूलों के खुलने से हालात के सामान्य होने की भावना भी लौटेगी।
लेकिन इसके साथ ही हम यह कतई नहीं भूल सकते कि कोविड-19 की दूसरी लहर अब भी उफान पर है और पाकिस्तान में संक्रमण-दर ढ़लानपर आती नहीं दिख रही। ऐसे में, अधिकारियों ने यदि स्कूल खोलने के इस फैसले को पूरी सतर्कता के साथ नहीं लागू किया, तो हालात तेजी से बदतर हो सकते हैं। शिक्षण संस्थानों के भीतर व्यापक प्रोटोकाॅल अपनाएं जाने की जरूरत है और मास्क पहनने, दैहिक दूरी और सैनेटाइजर के इस्तेमाल को हर हाल में अनिवार्य करना होगा। इस प्रक्रिया को अचूक बनाकर ही हम कुछ प्रगति कर सकते हैं और अपने बच्चों को सेहत की सुरक्षा कर सकते हैं।
द नेशन, पाकिस्तान
साभार- हिन्दुस्तान
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