कहा जाता है कि प्राथमिक शिक्षा ही वह बुनियाद है, जिस पर अच्छे भविष्य का निर्माण किया जा सकता है। अपने देश में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्ण उन्नति हुई है और छह से 14 साल तक के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था एक सराहनीय कदम है, लेकिन जमीनी स्तर पर इन सबका कितना लाभ मिल रहा है, इसकी निगरानी भी अत्यंत आवश्यक है। सरकारी विद्यालयों में या तो विद्यार्थियों के अनुपात में शिक्षकों की कमी है या फिर वे पठन-पाठन में इतने निपुण नहीं होते कि बच्चों का भविष्य संवार सकें। आलम यह है कि सरकारी विद्यालय मध्याह्न भोजन योजना को पूरा करने और पौशाक बांटने तक ही सिमट गए हैं। नतीजन, बच्चों के भविष्य से जमकर खिलवाड़ हो रहा है। इस तरफ पूरी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, तभी सरकार की योजनाएं सही मायने में जरूरतमंद बच्चों तक पहुंच सकेंगी।
आबिद खां, धराॅव, चंदौली
साभार हिन्दुस्तान
Comments (0)