कोरोना के इस दौर में पठन-पाठन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। निजी विद्यालयों के बच्चे तो कुछ औपचारिकताएं पूरी भी कर रहे हैं, लेकिन सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थी अमूमन शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं। विद्यालयों के बंद होने के कारण उनकी पढ़ाई बाधित हुई है। दिक्कत यह है कि हर सरकारी विद्यालय आॅनलाइन कक्षाएं नहीं चलाता। नतीजन, ये बच्चे पिछड़ रहे हैं। इसके दुष्परिणाम आगामी वर्षों में देखने को मिल सकते हैं। अभ्यास के अभाव में बच्चों बौद्धिक क्षमता भी प्रभावित हो रही। यह माहौल कहीं न कहीं बाल श्रम और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को बढ़ावा दे सकती है। शिक्षाविदों को इसके लिए सकरात्मक योजनाएं बनानी चाहिए। ऐसी योजनाओं की हमें आज सख्त जरूरत है।
मिथिलेश कुमार, भागलपुर, बिहार
साभार- हिन्दुस्तान
Comments (0)