राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संस्कृत भाषा को त्रिभाषा के विकल्प के साथ स्कूल और उच्चतर शिक्षा के सभी स्तरों पर छात्र-छात्राओं के लिए महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना इसकी प्रासंगिकता को दर्शाता है। संस्कृत भाषा को सभी आकांक्षाओं की प्रतिपूर्ति के रूप में देखना और इसके लिए क्रियान्वयन की नीति तैयार करना संस्कृत के मनीषियों का ही सम्मान है। मोदी सरकार के केंद्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से दीर्घकाल से आ रहे शून्यकाल को समाप्त करके संस्कृत प्रेमियों के लिए उत्सव-उत्साह के रूपरेखा तैयार की है।
अरुण कुमार त्यागी
साभार- हिन्दुस्तान
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