अनलाॅक में सभी की जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। बंद पड़ी फैक्टरियां, सिनेमा हाॅल, जिम, माॅल, बाजार वगैरह अपने पुराने स्वरूप् में लौटने लगे हैं। जरूरी दिशा-निर्देशों के साथ इन्हें खोला जा रहा है। मगर अब भी शिक्षण संस्थान बंद पडे हैं। जब इनको खोलने की बात उठती है, तो हर तरह से नियम यहां लागू हो जाते हैं। कुछ राज्यों में तो स्कूलों-काॅलेजों को जरूरी दिशा-निर्देशों के साथ खोला गया है, लेकिन दिल्ली में ऐसा कुछ नहीं किया गया है, और इसके आसार दूर-दूर तक नजर भी नहीं आ रहे। आॅनलाइन शिक्षा कुछ महीनों तक तो उचित हो सकती है, लेकिन पूरे वर्ष के लिए ऐसा करने से विद्यार्थियों के जीवन पर उल्टा असर पड़ सकता है। देर तक स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने और कान में लगातार हेडफोन लगाने का दुष्प्रभाव बच्चों पर दिखने भी लगा है। इसीलिए जिस तरह से सरकार ने बाकी सभी चीजों को खोला है, उसी तरह से शिक्षण संस्थान खोलने पर भी विचार होना चाहिए। छोटे बच्चों के स्कूल भले बंद रखे जाएं, लेकिन बाकी विद्यार्थियों को बुलाया जाना चाहिए। यह सबके हित में है।
वेद प्रकाश, रोहिणी, दिल्ली।
साभार हिन्दुस्तान
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