वर्तमान शिक्षा पद्धति सिर्फ नौकरी का साधन मात्र ही दिखती है। जबकि शिक्षा रोजगार का साधन नहीं, राष्ट्रनिर्माण को जरूरत है। लोग देश और समाज के प्रति कर्तव्यों को भूल गए, जो नई शिक्षा नीति दे सकती है। नई शिक्षा नीति में खेलकूद, सामाजिकता, सांजस्य, अनुशासन और वैज्ञानिकता सिखाने के सभी प्रावधान किए गए है। जाहिर है कि ऐसी शिक्षा देश के प्रति उत्तरदायी बनाएगी न कि गलत इंसान। अब पांचवीं तक बच्चा अपनी मातृभाषा में पढ़ेगा तो जाहिर है कि वह बहुत सी कठिन सी कठिन बातें भी आसानी से समझ सकेगा और साथ ही साथ संस्कार भी सीखेगा। छठवीं से कोडिंग और वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई शुरू की जाएगी, जो न सिर्फ रोजगार दिलाएगी, बल्कि बेहतर इंसान बनाने में भी मदद करेगी। डिजिटल शिक्षा पर भी जोर दिया जा रहा है, जिससे दुनिया के सामने भारत का छात्र हीनभावना का शिकार नहीं होगा।
लेखिका-उषा पांडेय, नैनिताल, उत्तराखण्ड
साभार - अमर उजाला
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