आईआईटी प्रवेश

कोरोना के समय में एक उत्साहपूर्ण प्रवेश परीक्षा के परिणामों की घोषणा बहुत सुखद और उत्साहजनक है। सोमवार को जईई एडवांस्ड परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया गया, जिसमें पूरे देश से कुल 43,204 छात्रों ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए योग्यता हासिल कर ली। कुल 150838 छात्र इस परीक्षा में बैठे थे। इस बार सफल होने वालों में लड़कियों के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। मोटे तौर पर आईआईटी में यदि सात लड़के पढ़ते हैं, तो महज एक लड़की। यह अनुपात निःसंदेह सुधरना चाहिए। बहरहाल, ये नतीजे इसीलिए भी ज्यादा पिछड़ चुकी है। कोरोना ने पढ़ाई व शिक्षण सत्र का बड़ा नुकसान किया है। आईआईटी में प्रवेश के लिए देश भर के योग्यता छात्र-छात्राएं सपना देखते हैं, खूब मेहनत करते हैं, लेकिन पिछले दिनों हुई देरी से छात्रों, अभिभावकों और यहां तक कि शिक्षण संस्थानों में भी चिंता की लहर थी। अब जैसे ही नए सत्र की शुरुआत होगी, तो भारत के टाॅप शिक्षण संस्थानों में रौनक लौट आएगी। देश के विकास और शिक्षण-प्रशिक्षण में रफ्तार के लिए आईआईटी जैसे अग्रणी संस्थानों में नए सत्र का शुरू होना इस वक्त की एक बड़ी जरूरत है।


आईआईटी प्रवेश के लिए आए परिणाम साफ संकेत करते हैं कि भारत में होनहार विद्यार्थियों की कोई कमी नहीं है। आईआईटी बाॅम्बे जोन के चिराग फालोर जेईई एडवांस 2020 में काॅमन रैंक लिस्ट में टाॅपर रहे हैं। उन्होंने 396 में से 352 अंक प्राप्त किए हैं। रुड़की जोन की कनिष्का मित्तल लड़कियों में टाॅपर रही हैं। उन्हें 17वीं रैंक हासिल हुई है और उनके 396 में से 315 अंक हैं। खास बात यह है कि चूंकि कोरोना की वजह से स्कूलों में इस बार परीक्षाएं ढंग से नहीं हो सकी थी, इसलिए परिणा तैयार करते समय कक्षा 12 के अंकों पर विचार नहीं किया गया है। नतीजे नए नियम के तहत आए हैं। पहले जेईई एडवांस्ड मं हिस्सा लेने के लिए छात्रों के लिए 12वीं बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक हासिल करना जरूरी था।


एक और बात ध्यान देने की है कि दक्षिण भारत में इंजीनियरिंग की ओर ज्यादा झुकाव है। टाॅप 500 छात्रों में मद्रास जोन के 140 छात्र और दिल्ली के 110 छात्र और बाॅम्बे जोन के 104 छात्र हैं, जबकि पूर्वोत्तर भारत और कानपुर जोन के इंजीनियरिंग के प्रति लगाव को बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए। स्वयं आईआईटी के जरिए भी अपने-अपने जोन में स्कूली छात्रों को प्रेरित करने के उपाय किए जाने चाहिए। इस परिणाम से जुड़ा एक और पहलू है, जो इंजीनियरिंग संस्थानों और हमें सोचने के लिए विवश कर रहा है। भारत में इंजीनियरिंग की टाॅप परीक्षा में टाॅप करने वाला विद्यार्थी पहले ही विदेशी इंजीनियरिंग काॅलेज में प्रवेश ले चुका है। जब लोग अपने टाॅपर चिराग को बधाई दे रहे हैं, तब वह लोगों की बधाई स्वीकार करते हुए यह सूचना दे रहे हैं कि अब उनके लिए इस परीक्षा का खास अर्थ नहीं है। यह महज संयोग नहीं, बल्कि भारत में शिक्षा पर अनायास या सहज ही हुई एक प्रतिक्रिया है। बेशक, ऐजे नतीजे गहरा इशारा भी होते हैं कि हमे कहां समाधान खोजना है।
साभार हिन्दुस्तान

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