निजी क्षेत्र से जुड़े बिंदुओं पर परिवर्तन की संभावनाएं समय के साथ बेहद आवश्यक है। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में यदि शिक्षा व्यवस्था को भी परिस्थितियों के अनुकूल किया जा रहा है तो इससे काफी लाभ होगा। विषय आधारित शिक्षा के क्षेत्र से लगातार कई वर्षों तक जुड़े रहना और विभिन्न कक्षाओं की परीक्षा के बाद केवल प्रमाण पत्र हासिल करने तक सीतिम रहने का परंपरा अब तोड़ने की जरूरत है। समय के महत्व के साथ ही साथ सबसे आवश्यक है कि प्रत्येक शिक्षार्थी अपने एक निर्धारित समय में चुनिंदा क्षेत्र के लिए तैयार हो। यह जरूरी नहीं कि हर किसी को चिकित्सा, तकनीकी या अन्य क्षेत्रों से ही जुड़ाव हो। इससे अधिक सोचने की बात यह है कि प्रत्येक उस क्षेत्र में जहां तकनीकी जानकारी के साथ कार्य कुशलता की कीमत है उसके लिए योग्य व्यक्ति को अवसर मिले। तकनीकी क्षेत्र से जुड़ने पर रोजगार के अवसर स्वयं मिलते है। वहीं इसका सर्वधिक लाभ होता है कि संबंधित कार्य को संपादित करने के लिए बेहतर अवसर भी प्राप्त होते है। स्नातक व परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद भी यदि किसी छात्र को उस क्षेत्र मे श्रम करना पड़ें जिसके लायक न तो वह पहले या और बाद में बनने की कोशिश करता है। शिक्षा के दौरान ही छात्र के अभिरुचि के अनुसार उसे तैयार करने की जरूरत है।
सुमित नेगी, हरिद्वार
साभार जागरण
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