देश के कई राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते हैं। उनमें से एक शिक्षक दिवस है, जो 5 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उन्होंने कहा था कि शिक्ष कवह नहीं, जो छात्रों के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि असली शिक्षक तो वह हैं, जो उन्हें आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे। निश्चय ही, इंसान की कामयाबी के पीछे सबसे अहम भूमिका शिक्षकों की होती है। प्राचीन समय में शिक्षकों का ओहदा भगवान से ऊंचा माना जाता था, लेकिन आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में कुछ बच्चे अपने शिक्षकों का आदर नहीं करत हैं। हालांकि, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि आज शिक्षा एक व्यापार बन गई है और स्कूल अभिभावकों को लूटने के अड्डे। ऐसे में, विशेषकार गरीब बच्चों के हित में शिक्षकों को संकल्पित होना चाहिए, वहीं विद्यार्थियों को भी यह प्रण लेना चाहिए कि वे अपने शिक्षकों का पूरा सम्मान करेंगे।
राजेश कुमार चैहान, जालंधर, पंजाब
साभार हिन्दुस्तान
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