किसी देश की शिक्षा प्रणाली की बुनियाद वहां के शिक्षक होते है। लेकिन देश में कुशल शिक्षकों की घोर कमी है उन को प्रशिक्षित करना और नए मानदंड तय करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा उच्च शिक्षा के लिए गैरजरूरी बैरियर्स को हटाना होगा। दुनिया में सबसे युवा मानव संसाधन हमारे पास है। दुनिया के कई देशों की जितनी कुल आबादी है उतने हमारे यहां हर साल ग्रेजुएट पैदा होते है अगर हम अपनी नई शिक्षा नीति के बूते इस संपदा को सहेज और सवार सके तो निजी निश्चित ही दुनिया भारत का चयन करने पर विवश होगी।
संध्या सेमवाल, देहरादून।
साभार जागरण
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