भारत निर्माण की मजबूत आधारशिला

नई शिक्षा नीति से हम भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने में सक्षम होंगे। प्रौद्योगिकी और नवाचार से वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए हम अपनी युवा पीढ़ी को तैयार कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि नई शिक्षा नीति नव भारत निर्माण की मजबूत आधारशिक्षा बनेगी।


हाल में ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत ट्रांस्फाॅर्मेशनल रिफाॅम्र्स इन हायर एजुकेशन’ के काॅन्क्लेव के दौरान प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन मिला। काॅन्क्लेव का आयोजन कैबिनेट द्वारा देश में 34 साल बाद अनुमोदित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पारित होने की ऐतिहासिक घड़ी पर किया गया था। देश भर में 950 विश्वविद्यालय, 4500 से अधिक महाविद्यालय, 150 से अधिक शिक्षा एवं शोध संस्थानों के निदेशक/प्राचार्य और देश-विदेश के शिक्षाविद इस महत्वपूर्ण आयोजन में प्रधानमंत्री के साथ जुड़े। देश के शिक्षा जगत में क्रांतिकारी सुधारों के साथ इस नीति का उद्देश्य स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है।


इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘प्रत्येक देश अपने मूल्यों और लक्ष्यों के अनुसार अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार लाता है। अंतिम लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि देश का युवा अपने भविष्य के लिए तैयार हो सके।’ प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 21वीं सद के भारत की आधारशिला बताते हुए कहा कि इससे भारतीय अधिक सशक्त बनेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य कौशल और विशेषज्ञता के साथ अच्छे इंसान तैयार करना है और प्रबुद्ध मानव शिक्षकों द्वारा बनाए जा सकते हैं। नई शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा में बदलाव के जरिये देश को बेहतर विद्यार्थी, पेशेवरों और बेहतर इंसान देने का मार्ग प्रशस्त होगा।


यह शिक्षा नीित संवाद की एक लंबी प्रक्रिया से विकसित हुई है। इसमें विभिन्न हितधारकों से सुझाव लिए गए। विभिन्न हितधारकों से लगभग सवा दो लाख से अधिक सुझाव आए। खुशी की बात है कि नई शिक्षा नीति का पूरे देश में दिल खोलकर स्वागत हुआ है। संपूर्ण देश और विश्व से मिल रहे सकारात्मक संदेशों से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है और हम इसके सफल क्रियान्वयन के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। नई शिक्षा नीति से हम छात्रों, अध्यापको, शोधार्थियों के शैक्षिक नेतृत्व की सोच में व्यापक बदलाव लाना चाहते हैं। मुझे प्रसन्नता है कि देशवािसयों तक बदलाव का संदेश पहुंचाने में हम कामयाब रहे हैं।


इस शिक्षा नीति से विकसित होने वाला नेशनल रिसर्च फाउंडेशन रिसर्च आउटपुट को एक नए स्तर पर ले जाएगा। संस्थानों के विकास में पूर्व छात्रों की भूमिका शिक्षा प्रणाली को समग्र रूप से प्रभावित करेगी। सबसे अच्छी बात यह है कि पाठ्यक्रम में समकालीन विषयों, जैसे- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग, होलिस्टिक हेल्थ, ऑर्गेनिक लिविंग, एनवायरमेंटल एजुकेशन, ग्लोबल सिटिजनशिप एजुकेशन आदि को शामिल करने के सुझाव हमें देश भर से मिले। इसी का ही परिणाम है कि प्रगति कार्ड के माध्यम से हम व्यापक कौशल, संज्ञानात्मक, स्नेह, सामाजिक-भावनात्मक और साइकोमोटर डोमेन पर ध्यान केंद्रीयत कर पाएंगे। अब बोर्ड परीक्षा मूल रूप से मुख्य दक्षताओं का परीक्षण करेगी।


चाहे 10़2 संरचना की जगह 5-3-3-4 का विषय हो, नए स्कूली शिक्षा सुधार के साथ बार-बार दोहरा कर याद करने की प्रक्रिया को दूर करने की बात हो, गतिविधि-आधारित, प्रयोगिक शिक्षा, कम्प्यूटेशनल सोच, बहु-विषयक और महत्वपूर्ण सोच-आधारित सीखने की बात हो, पारंपरकि भारतीय मूल्यों को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाने की बात हो, यह सब इस शिक्षा नीति में हैं, जो हमारी शिक्षा नीति को बेहतर बनाएंगे। इसके माध्यम से हम कौशल विकास और क्षमता पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।


दो साल के डिप्लोमा, एक लंबे डिग्री कोर्स, और एक अकादमिक क्रेडिट बैंक, और क्रेडिट स्कोर के साथ एमओओसीएस (बडै पैमाने पर ओपन आॅनलाइन पाठ्यक्रम) के संबंध में नए उपाय किए गए हैं। निजी और सार्वजनिक संस्थानों के मूल्यांकन के लिए समान मानक सुनिश्चित करके, हम सबको सामान अवसर देकर शैक्षिक संस्थानों से बेहतर परिणाम पाने के लिए तत्पर हैं।
नई शिक्षा नीति-2020 गुणवत्ता, पहंुच, जवाबदेही, सामथ्र्य और समानता की मजबूत नींव पर आधारित है। इसका पूरा श्रेय उन सभी हितधारकों को है, जिन्होंने अपनी चिंताओं, अपेक्षाओं, सुझावों से न केवल अवगत कराया, बल्कि आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति नए भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ी छलांग है। हम इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि इसका कार्यान्वयन मूल भावना के अनुरूप सुनिश्चित किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने आत्मनिर्भर भारत के लिए इस शिक्षा नीति के रूप में एक आधारशिला रखी है। मुझे पूरा विश्वास है कि नीति के सफल क्रियान्वयन में भी सभी हितधारकों का पूरा सहयोग मिलेगा।


इस नीति द्वारा हम विश्व कल्याण की भावना को आगे बढ़ाएंगे। चाहे नारी सशक्तीकरण हो, भुखमरी उन्मूलन हो, पर्यावरण रक्षा हो, आर्थिक विकास हो, स्वच्छता हो-सभी लक्ष्यों को हम गुणवत्तापरक नवोन्मेषी शिक्षा द्वारा अर्जित कर सकते हैं।


हमारा संकल्प है कि समावेशी और सार्वभौमिक शिक्षा के माध्यम से समाज के अंतिम छोर पर बैठे विद्यार्थी के जीवन में संकारात्मक परिवर्तन लाया जा सके। प्रधानमंत्री के मूलमंत्र सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास को आगे बढ़ाते हुए हमने शिक्षा के माध्यम से विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया है।


इस नीति से हम भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने में सक्षम होंगे। भारत और इंडिया के बीच के अवरोध को समाप्त कर भारत के विश्वबंधुत्व, मानवतावादी दृष्टिकोण को अंगीकृत करते हुए हमने इस नीति को जहां आधुनिक ज्ञान-विज्ञान और प्रौद्योकिगकी से लैस किया है, ताकि हमारी युवा पीढ़ी न केवल सुशिक्षित हो, बल्कि सुसंस्कारित भी हो। प्रौद्योगिकी और नवाचार से वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए हम अपनी युवा पीढ़ी को तैयार कर रहे है। मुझे विश्वास है कि नई शिक्षा नीति नव भारत निर्माण की मजबूत आधारशिला सभी देशवासियों के मनोरथों को सिद्ध करेगी।
लेखक- रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ (केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री)
साभार - अमर उजाला

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