वर्षों बाद मोदी सरकार ने देश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव के मकसद से नई शिक्षा नीति को हरी झंडी दिखा दी, लेकिन इसको लेकर अब भी कई सवाल बने हुए है। पहला प्रश्न तो यही है कि क्या नई शिक्षा नीति में भावी पीढ़ी को रोजगार, कृषि, पशुपालन आदि में स्वरोजगार अपनाने को लेकर कुछ ठोस कहा गया है? फिर, लोगों की उलझन यह भी है कि अगर बच्चों की हिंदी या स्थानीय भाषा में प्रारंभिक शिक्षा दी गई, तो क्या वे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए तैयार हो पाएंगे, जो अंग्रेजी में होती हैं? क्या इससे निजी और सरकारी स्कूलों के बच्चों का फासला बड़ा नहीं हो जाएंगा? सवाल यह भी है कि क्या इस नीति के तहत देश के हरेक गांव आधुनिक और उच्च शिक्षा से जुड़ पाएंगे, क्योंकि देश में बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां कोई शिक्षण संस्थान तक नहीं है। और भी न जाने ऐसे कितने सवाल नई शिक्षा नीति में अनुत्तरित दिख रहें हैं। सरकार को इस पर गौर करना चाहिए।
राजेश कुमार चैहान, जालंधर
साभार हिन्दुस्तान
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