लाॅकडाउन के चलते नौनिहालों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार के निर्देश पर स्कूल-काॅलेजों ने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है। आखिर नौनिहाल की पढ़ाई को लंबे समय तक नियति के हवाले तो नहीं छोड़ा जा सकता है। क्योंकि, कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों को कब तक बंद रखना बेहतर विकल्प ऑनलाइन पढ़ाई का ही था। अच्छी बात यह है कि कई स्कूलों ने इस बात की गंभीरता समझी और सरकार के दिशा-निर्देश मिलने से पहले ही ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करवा दी थी। लेकिन, अब भी प्रदेश में ऐसे स्कूलों की कमी नहीं हैं। वह वाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्र-छात्राओं को असाइनमेंट तो दे रहे हैं, लेकिन यह नहीं समझा रहे कि इसे कैसे पूरा करना है। जबकि, होना तो यह चाहिए था कि स्कूल छात्र-छात्राओं को असाइनमेंट देने के साथ ही उनका मार्गदर्शन भी करते। इससे छात्र-छात्राओं के साथ ही उनके अभिभावकों की भी परेशानियां बढ़ी है। स्कूल प्रबंधनों को तो जैसे इस बात से कोई सरोकार ही नहीं कि छात्र-छात्राएं विषय को समझ भी पा रहे हैं या नहीं। फिर ऐसा तो जरूरी नहीं कि हर बच्चे के अभिभावक पढ़ाई में उसकी मदद कर ही सकें। लेकिन, उनकी इन दिक्कतों से ज्यादातर स्कूलों के प्रबंधन जान-बूुझकर मुंह मोडे हुए है। उनकी तो सिर्फ एक ही चिंता है कि बस फीस टाइम से मिलती रहे। इसके लिए स्कूल प्रबंधनों की ओरसे अभिभावकों को लगातार मैसेज भेजे जा रहें है। यहां तक कि कई स्कूल तो तीन-तीन महीने की फीस का भी तकादा कर रहें है। हैरत देखिए कि सब कुछ शासन-प्रशासन और शिक्षा विभाग के संज्ञान में है। इससे निजी स्कूलों को मनमानी की छूट मिल गई है। यह स्थिति तब तक बनी रहेगी, जब तक कि सरकार व्यवहार में भी सख्ती से पेश नहीं आती। खाली आदेश जारी कर लेने भर से न तो छात्र-छात्राओं की समस्या का समाधान होने वाला और न उनके अभिभावकों को ही राहत मिलने वाली।
साभार जागरण
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