कोरोना संक्रमण काल के चलते फिलहाल सभी स्कूल बंद है। मौजूदा हालात को देखते हुए नहीं लगता कि स्कूल जल्दी खुल पाएंगे। स्कूल देरी से खुलेंगे। ऐसे में सरकार को यह भी सोचना होगा कि सिलेबस भी कम किया जाना चाहिए। अगर छात्र छात्रओं को पढ़ने के लिए कम समय मिलेगा तो इस लिहाज से कम सिलेबस किया जाना चाहिए। ताकि उनकी तैयारियां प्रभावित ना हो। खासकर बोर्ड के परीक्षाद्दथयों के लिए तो सिलेबस को टाइम के हिसाब से कम किया जाना चाहिए। अगर चार महीने तक की पढ़ाई प्रभावित होती है तो सिलेबस को भी कम से कम एक तिहाई कम किया जाना चाहिए। केवल दो तिहाई सिलेबस से ही परीक्षा ली जानी चाहिए। अगर पढ़ाई इससे ज्यादा प्रभावित होती है तो सिलेबस को आधा किए जाने पर भी विचार किया जाना चाहिए। इससे छात्र-छात्रओं पर मानसिक दबाव भी नहीं पड़ेगा और उन्हें परीक्षा में भी कोई परेशानी नहीं होगी। वैसे भी यह समझने की आवश्यकता है कि यदि पढ़ाई के लिए समय कम मिलेगा तो छात्र-छात्रएं पूर्व की भांति सिलेबस को कैसे पूरा कर सकते हैं। यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है तो इसका पूरा असर छात्रों पर ही पड़ेगा। जिम्मेदार अधिकारियों को चाहिए कि कोरोना वायरस महामारी से बचाव को हुए लॉकडाउन के कारण जो समस्या खड़ी हुई है। उससे निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं।
राधिका बंसल, खन्नानगर हरिद्वार
साभार जागरण
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