आने वाले समय में अलग-अलग परीक्षाओं का दौड़ आरंभ होने वाला है। ऐसे में परीक्षार्थियों का तनाव में आना स्वाभाविक है। परीक्षाओं के लिए गंभीर होना और परीक्षा के लिए तनावग्रस्त होना, दो अलग-अलग बातें हैं। अव्वल तो स्वाध्याय बहुत आवश्यक है, लेकिन यदि किसी विषय में परीक्षार्थी को परेशानी हो रही हो, तो वह तुरंत अपने शिक्षकों या घर के बड़े-बुजुर्गो का सहयोग ले। उसमें स्वयं उलझकर समय बर्बाद न करे। ऐसी उल्लझन आमतौर पर अवसाद व तनाव को जन्म देती है। अभिभावकों से भी यह अपेक्षा है कि वे अपने बच्चों से बेजा उम्मीदें न पालें। परीक्षार्थीयों को यह याद रखना चाहिए कि उनकी मेहनत कभी बर्बाद नहीं हो सकती। परीक्षा में अच्छे अंक सब कुछ नहीं है। जिंदगी इन अंकों से कहीं ज्यादा बड़ी है।
मनमीत कुमार, पटना सिटी
साभार जागरण
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