वैश्विक महामारी कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में सभी निजी स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2020-21 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून) की फीस पूरी तरह माफ कर देनी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि वर्तमान सत्र में अप्रैल-मई माह में किसी प्रकार की कोई औपचारिक कक्षा नहीं हो पाई और जून में ग्रीष्म अवकाश होगा। इस प्रकार, पहली तिमाही में स्कूल पूरी तरह से बंद रहेंगे। दूसरी ओर, देशव्यापी लॉकडाउन के चलते समाज का हर वर्ग आर्थिक तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। विशेष रूप से निजी क्षेत्र के नौकरी-पेशा अभिभावकों के लिए, जिनको इस अवधि में 40-50 प्रतिशत वेतन ही मिला है, फीस दे पाना संभव नहीं है। केंद्र व राज्य सरकारों ने जिस प्रकार तमाम आर्थिक रियायतों और सहयोग की घोषणा की है, निजी स्कूलों से भी अपेक्षा है कि वे इस अवधि के लिए अपने स्टाफ का वेतन अपने निजी संसाधनों से देने पर विचार करेंगे और अभिभावकों पर इसके लिए किसी प्रकार का दवाब नहीं बनाएंगे। निजी स्कूलों के पास इस बाबत कई तरह के फंड पहले से मौजूद हैं भी।
विपिन कुमार, मुरादाबाद
साभार हिन्दुस्तान
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