पूरे साल शिक्षा जगत से जुडे़ लोग कई तरह के प्रयोग करते रहते हैं, मगर ऐसे मौके बहुत कम आए, जब देशवासियों ने दिल खोलकर उनकी तारीफ की हो। इस समय पूरा देश कोविड-19 से जूझ रहा है। इस त्रासदी के दौरान हमारी अगली पीढ़ी शिक्षा से वंचित रहे, यह संभव नहीं। इसके कारण स्कूलों ने ऑनलाइन शिक्षा देने का क्रांतिकारी कदम उठाया। इस प्रयोग की सफलता या विफलता समय के गर्भ में दफ्न है। मगर 23 अप्रैल को प्रकाशित रोहित कौशिक के लेख में पढ़ाने के तरीकों में आ रही कमियों को ध्यान में लाने का काम किया गया। एक सच्चाई, जो मुझे समझ में आती है, वह यह है कि यह संक्रमण-काल सभी के लिए नया है, वैसे ही शिक्षा जगत के लिए भी है। अब तक बच्चों को जानकारी रहती थी कि उनके पढ़ने, लिखने, खाने और सोने का समय क्या है। मगर अब सब कुछ उल्टा-पुल्टा हो गया है। लिहाजा मुझे लगता है कि ऑनलाइन पढ़ाई का जो कदम शिक्षा विभाग ने उठाया है, उसके परिणाम को एक बार सामने आने का मौका जरूर दिया जाना चाहिए।
मनोरंजन कुमार चतुर्वेदी, गुरुग्राम
साभार हिन्दुस्तान
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