ललित भट्ट
देहरादून। निजी स्कूलों की मनमानी पर सीबीएसई ने सख्त रूख अपनाया है। आए दिन बच्चों के अभिभावक निजी स्कूलों की इस मनमानी के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करते दिख जाते हैं। मनमाने तरीके से कभी फीस बढ़ोत्तरी , तो कभी ड्रेस कोड या किताबों के नाम पर उनकी जेबों पर डाका डालना मानो इनका शगल बन चुका है। बच्चों के एडमीशन फीस के साथ-साथ स्कूलों द्वारा बच्चों के टाई, बेल्ट पांच से छह गुना अधिक दाम पर बेचने के अलावा खास दुकान से किताबें खरीदने के लिये हिदायत दी जाती है अधिकतर पब्लिक स्कूल हर साल किताबें बदल देते हैं ताकि हर साल मोटी रकम कमाई जा सके। शिक्षा के नाम पर मची इस लूट में बच्चों के अभिभावक लुट रहे हैं। जुलाई का महीना आते ही पब्लिक स्कूल संचालकों के चेहरे खुशी से फूल जाते हैं तो वहीं बच्चों के अभिभावकों के चेहरों पर चिंता की लकीरें उभरने लगती हैं। बच्चों के माता पिता को स्कूल की फीस के अलावा घर के बजट का भी ख्याल रखना होता है।
लेकिन अब सीबीएसई ने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वह 30 नवम्बर तक पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दें। हालांकि दबी जुबान में कई निजी स्कूल इसका विरोध भी कर रहे हैं।
सीबीएसई ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी कर सभी निजी स्कूलों को तमाम जानकारियां 30 नवम्बर 2016 तक स्कूल की वेबसाइट पर साझा करने का आदेश दिया है। निजी स्कूलों को जनरल, मैनेजमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ समेत छह अन्य श्रेणियों के तहत जानकारियां सांझा करने की बात कहीं गई है। इसका मकसद अभिभावकों को पता चले कि उनके द्वारा दिया गया पैसा जा कहां रहा है। निजी स्कूल प्रबंधन को ये जानकारियां सार्वजनिक तौर पर साझा करना भले ही ठीक न लग रहा हो, लेकिन अभिभावकों की शिकायत ने इस मुद्दे को चिंता का विषय बना दिया है। बोर्ड ने यह फैसला अभिभावक समूहों द्वारा सुझाए गए विभिन्न सुझावों में से चुनकर लिया। शिक्षा के नाम पर मच रही लूट पर लगाम लगा पाना तकरीबन नामुमकिन माना जा रहा है लेकिन सीबीएसई के इस सख्त रूख के बाद कुछ हद तक निजी स्कूलों पर लगाम लग सकती है।
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