कहा जाता है कि हमारे यहां बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है शिक्षा, ज्ञान और कौशल के बीच तालमेल न होना। प्रत्येक वर्ष लाखों शिक्षार्थी डिग्रियां प्राप्त करते हैं, जिनकी व्यावसायिक बाजार में कोई मांग नहीं है, इसलिए 10वीं-12वीं के बाद अभिभावक अपने बच्चों को व्यावसायिक पाठ्यक्रम की तरफ मोड़ने में रुचि लें। लेकिन इसके लिए भी आधार का मजबूत होना बहुत जरूरी है। क्या हमारे स्कूलों में आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं? मेरे ख्याल से नहीं है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू जरूर है, मगर इसे घर-घर तक पहुंचाने में हम कामयाब नहीं हुए हैं। सरकार को यदि देश का भविष्य संवारना है, तो उसे शिक्षा और स्वास्थ्य में सबसे ज्यादा निवेश करना चाहिए, ताकि रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा मिल सके। इसी से रोजगार व स्वरोजगार के दरवाजे खुलेंगे। सिर्फ नारा लगाने, घोषणाएं करने से कुछ नहीं होने वाला।
- जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर
- साभार हिन्दुस्तान
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