गर्त में शिक्षा-व्यवस्था

देश में बच्चों की दशा-दिशा का जायजा लेने वाली प्रतिष्ठित वार्षिक सर्वेक्षण-रिपोर्ट असर 2019 अर्ली इयर्स ने यह खुलासा किया है कि केवल 10 फीसदी परिवार के बच्चों के पास पठनीय सामग्री उपलब्ध हैं, जबकि देश के 94 फीसदी लोगों के पास मोबाइल है, जिनमें से 52.5 प्रतिशत के पास स्मार्टफोन है और उसमें इंटरनेट भी उपलब्ध है। कहा जाता है कि किसी देश के विकास की रीढ़ उस देश की शिक्षा-व्यवस्था होती है। भारत सरकार को इस सर्वे के नतीजों पर विशेष ध्यान देकर शिक्षाविदों के विचार से इसका समाधान जल्द पेश करना चाहिए। अगर शिक्षा-व्यवस्था की यही तस्वीर बनी रही, तो आने वाले समय में इसका बुरा असर पडेगा। आज विश्व के 200 विश्वविधालयों में भी हम अपना स्थान नहीं बना पा रहें, तो इसकी एक बड़ी वजह पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा की खस्ता हालत है। इस पर सरकार की तत्काल विशेष ध्यान देने की जरूरत है।


तेज बहादुर मौर्य, प्रयागराज
साभार हिन्दुस्तान

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