अक्सर हम कानूनों के बारे में चर्चा बड़े और जानकार लोगों के साथ ही करते हैं। मेरा मानना है कि अगर बच्चों को कानूनों के बारे बताया जाए और समय रहते उन्हें इसकी जानकारी दी जाए तो समाज में अपराध का अनुपात कम हो सकता है। बच्चे खेल-खेल में कई अपराध कर बैठते हैं। दरअसल उन्हें पता ही नहीं होता कि अपराध क्या है और उससे कैसे बचा जा सकता है। अक्सर किशोर उम्र के बच्चों के बीच यह बात फैली होती है कि वो कोई भी अपराध कर देंगे तो उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा। उन्हें बताया जाना चाहिए कि कोई अगर बाल अवस्था में अपराध करता है तो उसका मुकदमा किशोर न्यायालय में चलता है। अपराधी मानने पर बच्चे को बाल सुधार गृह में भेजा जाता है।
डॉ. दीपा अग्रवाल, चमनलाल डिग्री कॉलेज, हरिद्वार
साभार जागरण
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