कहते ही नींव मजबूत हो तो उस पर कई मंजिल बिल्डिंग खड़ी की जा सकती है। बच्चे देश का भविष्य कहे जाते हैं। लेकिन उनकी शिक्षा आज बदहाल हो चुकी है। प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में प्राथमिक विद्यालय है। अधिकांश के भवनों की हालत जर्जर है। कई विद्यालय किराये के भवनों में संचालित हो रहे हैं। छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। शिक्षक पढ़ाने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। जहां पहुंच रहे वहां समय से पूर्व स्कूल की छुट्टी कर दी जाती है। बच्चों को आकर्षित करने के लिए चलाई जा गई मिड डे मील में लगातार गड़बड़ी सामने आ रही है। नतीजा अब सरकारी स्कूलों में केवल आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के बच्चे ही पढ़ रहे हैं।
महावीर शर्मा, ऋषिकेश
साभार जागरण
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