स्नातक स्तर पर संविधान की शिक्षा जरूरी

26 नवंबर को पूरे देश ने संविधान दिवस मनाया। स्वतंत्र भारत की संविधान सभा के 299 सदस्यों ने मेहनत के साथ इस संविधान का निर्माण किया था। इसको लिखने में दो साल 11 माह और 17 दिन लगे थे। संविधान सभा ने 395 अनुच्छेदों और आठ अनुसूचियों वाले संविधान का प्रारूप तैयार किया था। संविधान सभा ने 26 नवंबर के दिन ही संविधान के प्रारुप का अनुमोदन किया था। इसमें अब 460 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं। ये 25 भागों में विभाजित है। संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी थी। इन सब बातों का जिक्र इसलिए कर रही हूं कि हमारी युवा पीढ़ी इन सब बातों से अनजान है। इसमें युवा पीढ़ी की कोई गलती नहीं है। इसमें हमारी गलती है कि हमने कभी युवा पीढ़ी को संविधान के बारे में बताया ही नहीं। उन्हें इसके बारे में बहुत संक्षेप में बताया-पढ़ाया गया। हम सब जानते हैं कि संविधान भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है। इसलिए जरुरी है कि लोकतंत्र की आत्मा से देश के प्रत्येक नागरिक का साक्षात्कार कराया जाए। प्रत्येक भारतीय को संविधान के बारे में जानना चाहिए। स्नातक स्तर पर तो खासकर संविधान को पढ़ना अनिवार्य किया जाना चाहिए। देश में जिस तरह से पर्यावरण विज्ञान का एक पेपर स्नातक स्तर पर अनिवार्य किया गया है, उसी तरह संविधान की जानकारी देने वाला एक पेपर अनिवार्य किया जाना चाहिए। इसे क्वालीफाइंग पेपर की तरह ही कला, विज्ञान, वाणिज्य सभी संकायों के छात्रों पर लागू किया जाना चाहिए। इससे हमारी युवा पीढ़ी अपने अधिकारों को समङोगी तो उन्हें कर्तव्यों की जानकारी भी होगी। जिससे कहीं न कहीं देश को भी लाभ पहुंचेगा।


डॉ. दीपा अग्रवाल, राजविहार कॉलोनी, हरिद्वार
साभार जागरण

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