उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कक्षाओं में छात्रों की 80 फीसद उपस्थिति अनिवार्य की गई है। पहले यह मानक 75 फीसद का था। अब इसे बढ़ा दिया गया है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई लोग कह रहे हैं कि पहले छात्रों की 75 फीसद उपस्थिति का मानक पूरा करना ही मुश्किल था, अब 80 फीसद छात्र उपस्थिति कैसे होगी। अगर देखा जाए तो यह टारगेट मुश्किल जरुर है, लेकिन असंभव नहीं है। इसके लिए केवल शिक्षक की जिम्मेदारी तय करने से काम नहीं चलेगा। इसमें तीन पक्षों की जवाबदेही और जिम्मेदारी होगी, तभी जाकर कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति का फीसद बढ़ेगा। इसमें सबसे बड़ा रोल अभिभावकों का है। अभिभावकों को अपने बच्चों को कॉलेज भेजने के लिए जागरूक करना होगा। अभिभावकों को बच्चों के कॉलेज के संपर्क में रहकर यह पता करना होगा कि उनका ब‘चा रोज कक्षा में आता है या नहीं। अगर बच्चा घर से कॉलेज के लिए निकला और कॉलेज नहीं पहुंचता है तो शाम को अभिभावक का दायित्व बनता है कि ब‘चे से शाम को इसके बारे में पूछा जाए। छात्रों को भी जागरूक करना होगा कि कक्षा में आने से उन्हें क्या फायदे हैं और जो छात्र नियमित तौर पर कक्षा में नहीं आते हैं, उन्हें क्या-क्या नुकसान हैं। एक शिक्षिका होने के नाते हम अपनी जिम्मेदारी भी समझते हैं। हम शिक्षकों को कक्षाओं का माहौल ऐसा बनाना होगा कि छात्र वहां आकर अच्छा महसूस करे। शिक्षण के माध्यम में रोचकता बनाए रखना जरुरी है, ताकि छात्र वहां आकर महसूस करे कि हर रोज नया सीखने को मिल रहा है और बोर भी नहीं हो रहा है।
डॉ. दीपा अग्रवाल, हरिद्वार
साभार जागरण
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