सरकार की दीर्घकालीन नीति क्या है, यह हमें नहीं पता, अभी सिर्फ एक भ्रम दूर हुआ है। कार्मिक मंत्रालय नें यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार अगले साल होने वाली सिविल सेवा परीक्षा के लिए अधिकतम उम्र-सीमा को फिलहाल नहीं घटा रही है। यानि इस परीक्षा के लिए सारी अहर्ताएं इस बार भी वहीं होंगी, जो अभी तक होती आई है। पिछले काफी समय से यह चर्चा थी कि सरकार सिविल सेवा परीक्षा के लिए अधिकतम उम्र सीमा को घटा सकती है। इस चर्चा की वजह थी, बीएस बासवान समिति की रिपोर्ट। यह समिति सिविल सेवा परीक्षा में सुधार के लिए बनाई गई थी। समिति की सिफारिश थी कि इस परीक्षा की अहर्ताओं की अधिकतम उम्र-सीमा को 32 से घटाकर 26 वर्ष कर दी जाए। फिलहाल सरकार नें इस सिफारिश को नहीं माना है और यह कहा जा रहा है कि ऐसा अगले साल की शुरूआत में कई राज्यों के विधानसभा चुनाओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। सरकार नहीं चाहती कि ऐसे मौके पर युवा वर्ग को नाराज किया जाए। इस मामले में कर्मिक मंत्रालय के सचिव नें जो बयान दिया है, वह सिर्फ 2017 की परीक्षा के संदर्भ में हैं। इसलिए हमें नहीं पता कि सरकार बासवान समिति की सिफारिशों से सहमत है या नहीं, और उन्हें वह स्वीकार करने जा रही है या नहीं।
आगामी चुनाव को छोड दें, तो भी उम्र की सीमा कम करने का मुद्दा काफी संवदेनशील है। ऐसा एकबारगी किए जाने के कई खतरे है। भारतीय सिविल परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में मानी जाती है। अगर हम पिछले साल का उदाहरण लें, तो पिछले साल इस परीक्षा में दस लााख से ज्यादा नौजवान शामिल हुए थे, जिनमें अंत में सिर्फ 180 का ही चुनाव हुआ। यह बताता है कि इसमें स्पद्र्धा कितनी अधिक है। इस कडी स्पद्र्धा की वजह से ही बहुत से युवा परीक्षा में बैठने से पहले कई साल तक तैयारी करते हैं। अभी इस परीक्षा में बैठने की आयु न्यूनतम उम्र-सीमा 21 साल है और अधिकतम उम्र-सीमा 32 साल। और इस 11 साल में सामान्य वर्ग को कोई युवा सिर्फ छह बार ही यह परीक्षा दे सकता है। इसलिए भी बहुत से नौजवान कई साल तक तैयारी करने के बाद परीक्षा में बैठना पंसद करते है। ऐसे में, अगर एकबारगी उम्र सीमा घटा दी जाती है, तो उन नौजवानों को काफी परेशानी हो सकती है, जो परीक्षा के लिए लगातार कई साल से तैयारी कर रहें हैं।
बासवान समिति की पूरी रिपार्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, इसलिए हम ठीक से नहीं जनते है कि अधिकतम उम्र घटाने की सिफारिश के पीछे क्या तर्क दिए गए हैं। इसे लेकर हमेशा से जो कुछ तर्क दिए जाते रहें है, फिलहाल हम उन्ही पर चर्चा कर सकते है। सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले उम्मीवार को दो साल तक मसूरी के संस्थान में प्रशिक्षण दिया जाता है, इसके बाद उनकी नियुक्ति के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा, यानि आईएएस मंे होती है। मान लिजिए कि 32 साल का एक युवक सिविल सेवा परीक्षा को पास करता है, तो जब वह प्रशासनिक सेवा में तैनाती होगा, तो उनकी उम्र 34 साल हो चुकी होगी। आमतौर पर यह माना जाता है कि किसी व्यक्ति की काम करने की ऊर्जा और उत्पादकता 30 साल के उम्र के आस-पास शिखर पर होती है और उसके बाद धीरे-धीरे कम होने लगती है। इस तर्क से देखें, तो बहुत से लोग आईएएस तब बनते है, जब काम करने की उनकी ऊर्जा कम होनी शुरू हो चुकी होती हैं। बेशक इसमें बदलाव जरूरी है, पर यह ऐसा काम नही है, जिसे एकबारगी किया जा सके। अधिकतम उम्र-सीमा नीचे लाने की प्रक्रिया बनानी होगी। यह काम धीरे-धीरे होगा, जिसमें कई साल लग सकते हैं।
साभार - हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान
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