अगर कोई सरकार अपने ही देश के गरीब तबकों के बच्चों की शिक्षा के लिए ऐसा परिस्थितियां पैदा कर दे कि वे शिक्षा लेने से ही वंचित हो जाएं, तो सरकार के इस कृत्य को क्या कहेंगे? सरकार का यह रुख निश्चय ही भत्र्सना के योग्य माना जाएगा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविधालय के साथ ऐसा ही सुलूक किया जा रहा है। यह देश का एक ऐसा संस्थान है, जो अपने प्रगतिशील विचारों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां से पढ़कर निकले बच्चे समूचे विश्व में अपनी प्रतिभा का परचम लहराए हुए है। इस संस्थान की सबसे स्तुत्य कृत्य है, नाम मात्र की फीस पर वंचित तबकों के बच्चों को शिक्षित करना। मगर केंद्र सरकार इस व्यवस्था को तहस-नहस करने पर उतारू है। यही वजह है कि इस फीस-वृद्धि का जमकर विरोध होना ही चाहिए। फीस में बढ़ोतरी उचित नहीं है।
निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद
साभार - हिन्दुस्तान
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