माध्यमिक शिक्षा की सुध लें

महात्मा गांधी ने 1937 में बुनियादी शिक्षा की नींव रखी थी, जिसमें सात से 14 साल तक के बच्चों को कौशलयुक्त बनाने का लक्ष्य शामिल था, ताकि वे अपने जीविकोपार्जन के साथ-साथ एक स्वावलंबी जीवन जी सकें और इससे राष्ट्र आर्थिक रूप से भी सशक्त हो। पर आजादी के बाद ये सारी चीजें सिर्फ सिद्धांतों में रह गई, जबकि मुदलियार माध्यमिक शिक्षा आयोग 1952-53 ने भी अपनी सिफारिशों में व्यावसायिक शिक्षा की बात की थी। इसको सही तरीके से जमीनी शक्ल नहीं दिया गया। आज देश की शिक्षा-व्यवस्था की हालत यह है कि हमारे पास कामगार तो हैं, लेकिन उनमें कौशल की कमी है। अगर देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने हैं, तो हमें गांधीजी ने पथ पर थोड़ा सुधार के साथ आगे बढ़ना चाहिए। माध्यमिक शिक्षा में सैद्धांतिक पाठ्यक्रम के साथ-साथ व्यावहारिक पाठ्यक्रम को भी शामिल किया जाना चाहिए।


शैलेश मिश्र, बीएचयू
साभार - हिन्दुस्तान

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