किसी राष्ट्र के विकास का अंदाजा लगाना हो, तो उस देश की प्राथमिक शिक्षा-व्यवस्था देखकर आप लगा सकते हैं। भारत के कई राज्यों में प्राइमरी शिक्षा की हालत दयनीय है। उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे बड़ी आबादी वाले राज्यों के हजारों स्कूलों में तो पक्की छत, शौचालय, ब्लैक बोर्ड, बैठने के लिए बेंच जैसे बुनियादी जरूरतें ही नदारद हैं। इन प्रदेशों के सरकारी प्राथमिक स्कूलों की खराब हालत का अंदाज आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वहां प्राइवेट अंग्रेजी स्कूलों की बाढ़-सी आ गई है। वर्तमान में अंग्रेजी भाषा का महत्व है, इसीलिए आजकल अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसके लिए हिंदी माध्यम के स्कूलों में शिक्षा का गिरता स्तर भी जिम्मेदार है, लेकिन सरकार की ढुलमुल शिक्षा नीति तो सबसे अधिक दोषी है।
सुशील वर्मा
साभार - हिन्दुस्तान
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