बीते दिनों खबर आई कि यूजीसी ने युवाओं की सोशल मीडिया की नैतिकता और शिष्टाचार सिखाने के लिए इसे स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिया है। सोशल मीडिया के दुरुपयोग को देखते हुए इस तरह के पाठ्यक्रम की जरूरत शिद्दत से महसूस की जा रही थी। आज भले ही नया मीडिया आपस में लोगों के जुड़ने और संचार का प्रमुख साधन बन गया है, लेकिन निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा इसका दुरुपयोग भी खूब किया जा रहा है। यहां तो फर्जी और नफरत फेलाने वाली खबरों की एक अलग दुनिया ही बन गई है। अमेरिका जैसे देशों में सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर नियंत्रण को लेकर समय-समय पर पर्याप्त कदम उठाए जाते है। भारत में भी नैतिकता और शिष्टाचार के पाठ्यक्रम युवाओं में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेंगे। तभी सही मायने में सोशल मीडिया अपना नाम सार्थक करेगा।
बिजेंद्र कुमार
साभार - हिन्दुस्तान
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