जर्जर शिक्षा व्यवस्था

हमारी शिक्षा व्यवस्था आज पूरी तरह से चरमरा गई है, लेकिन सरकारें और सभी राजनीतिक दल मूकदर्शक बने बैठे है। विपक्षी पार्टियों को भी जब लगता है कि इस मुद्दे पर सियासी रोटियां सेंकी जा सकती हैं, तो हो-हल्ला करके अपना काम निकाल किनारे हो जाती हैं। चार-पांच वर्षो में किसी प्रकार की परीक्षा का परिणाम आया, हर बार विधार्थी ‘परीक्षा परिणाम में धांधली’ के खिलाफ अनशन, प्रदर्शन और नाराजगी जताते दिखते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार शिक्षा की गुणवत्ता और दक्षता को काफी गंभीर चोट पहुंचाता है, जिसका बुरा असर सालों-दशकों तक अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। सरकार 2029-30 तक देश की अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन डाॅलर की बनाने की बात करती है, लेकिन इसके लिए उसे यह सोचना होगा कि हम अपने बच्चों और युवाओं को किस तहत से शिक्षित करें कि वे देश की अर्थव्ययस्था में अपना अहम योगदान दे सकें।


अंकित अमरेंद्र, गया, बिहार
साभार - हिन्दुस्तान

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