उच्च शिक्षा में गुणवत्ता

प्रदेश में उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार की जरूरत लंबे समय से जताई जा रही है। सरकार की ओर से यह संकल्प बार-बार व्यक्त भी किया जाता है, लेकिन फिर भी हालात में अपेक्षित बदलाव नहीं दिख रहा है। बड़ी संख्या में सरकारी डिग्री कॉलेज आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। हालत ये है कि 104 सरकारी डिग्री कॉलेजों में से सिर्फ 64 के पास ही अपनी भूमि और भवन हैं। 29 कॉलेजों के भवन निर्माणाधीन हैं, जबकि 11 कॉलेजों के पास भवन और भूमि दोनों ही नहीं हैं। अच्छी लाइब्रेरी और लैबोरेट्री की कमी की बड़ी समस्या बनी हुई है। बुनियादी सुविधाएं नहीं होने से यूजीसी से मिलने वाली सहायता ज्यादातर कॉलेजों को नहीं मिल पा रही हैं। चिंताजनक ये है कि महज 18 डिग्री कॉलेज ही नैक की ग्रे¨डग मिलने के बाद यूजीसी से अनुदान ले पा रहे हैं। शेष कॉलेज इस अनुदान के लिए तरसने को मजबूर हैं। अब सरकार हाथ-पांव मार रही है कि किसी तरह कॉलेजों को भूमि और भवन उपलब्ध कराया जाए। इस दिशा में राष्ट्रीय उच्चतर माध्यमिक शिक्षा अभियान से कुछ परेशानी दूर हुई है। केंद्र सरकार के दर पर भी सरकार दस्तक दे चुकी है। दरअसल राज्यों में अब तक सरकारों ने जितना तेजी से सरकारी डिग्री कॉलेजों की संख्या बढ़ाने में रुचि दिखाई, उतना तेजी उनमें संसाधन बढ़ाने, भूमि और भवन की व्यवस्था करने में नहीं दिखाई। बड़ी संख्या में कॉलेज महज डिग्री बांटने का जरियाभर बने हैं। ऐसे में छात्र-छात्रओं को गुणवत्तापरक शिक्षा की आस लगाना ही बेमायने है। बेहतर यही होगा कि नए कॉलेज खोलने से पहले भूमि के बंदोबस्त की पहली और अनिवार्य शर्त रखी जाए। साथ ही मौजूदा कॉलेजों में आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। अच्छी बात ये है कि पिछले कुछ समय से सरकारी डिग्री कॉलेजों में नियमित शिक्षकों की संख्या में इजाफा हुआ है। राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित शिक्षकों की नियुक्ति होने से काफी संख्या में कॉलेजों में पठन-पाठन को सुचारू करने में मदद मिली है। दूरदराज के कई कॉलेजों में प्राचार्य नहीं हैं। स्नातक कॉलेजों में प्राचार्यो की डीपीसी आरक्षण रोस्टर को लेकर शासनादेश जारी नहीं होने की वजह से रुकी हुई है। अब मुख्यमंत्री ने प्रत्येक कॉलेज में प्राचार्य की तैनाती के निर्देश दिए हैं। ई-लाईब्रेरी को लेकर अब कसरत तेज की गई है। हालांकि ई-लाईब्रेरी का मामला तकनीकी अड़चन के चलते लंबे समय से अटका रहा है।


साभार जागरण

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