शिक्षक बनने का मकसद

अपेक्षाओं के दबाव से जूझते शिक्षक शीर्षक से लिखे अपने लेख में गिरीवर मिश्र ने देश के शिक्षक वर्ग और शिक्षा क्षेत्र की कुछ चुनौतियों का विश्लेषण किया है। माना कि सरकारों की कुछ गलत नीतियां शिक्षकों और शिक्षा क्षेत्र के लिए उचित नहीं हैं और देश के कुछ क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, लेकिन जब सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी ही कम होंगे तो ज्यादा शिक्षकों की भर्ती करके सरकारी खजाने पर बोझ क्यों डालना? सरकारें डिग्री देखकर शिक्षकों की भर्ती कर सकती हैं, लेकिन आदर्श शिक्षक वही बन सकता है, जिसका शिक्षक बनने का मकसद अपने विद्यार्थियों को डॉक्टर, वकील, इंजीनियर आदि बनाने के साथ आदर्श विद्यार्थी भी बनाना हो और जो खुद भी नैतिकता, इंसानियत, अनुशासन की राह पर चलता हो। आज जहां शिक्षक का करियर भी लोग अपनी मोटी कमाई के लिए चुनते हों, वहां बेहतर शिक्षक कहां से आएंगे? खासतौर पर सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए लोग इसलिए अग्रसर होते हैं, क्योंकि वहां सैलरी मोटी और विद्यार्थियों को पढ़ाने का तनाव कम होता है। यह बात कुछ लोगों को कड़वी लग सकती है, लेकिन यह काफी हद तक हकीकत है। वहीं निजी स्कूलों के शिक्षकों की सैलरी कम और विद्यार्थियों को पढ़ाने की ज्यादा टेंशन होती है। सरकार को कुछ ऐसे प्रावधान करने चाहिए कि शिक्षकों की भर्ती के लिए उच्च शिक्षा की डिग्री के साथ-साथ नैतिकता का टेस्ट पास करना भी जरूरी हो।


राजेश कुमार चैहान, जालंधर


साभार जागरण


Comments (0)

Please Login to post a comment
SiteLock
https://www.google.com/url?sa=i&url=https%3A%2F%2Fwww.ritiriwaz.com%2Fpopular-c-v-raman-quotes%2F&psig=AOvVaw0NVq7xxqoDZuJ6MBdGGxs4&ust=1677670082591000&source=images&cd=vfe&ved=0CA8QjRxqFwoTCJj4pp2OuP0CFQAAAAAdAAAAABAE