’कोटा’ के सबक


हाल के महीनों में ऐसा लग रहा था कि केन्द्र, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की पहल व कोशिशों से कोटा में कोचिंग कर रहें स्टूडेंट्स की राह आसान होने को है, पर ऐसा कुछ भी होता नजर नही आ रहा हैं। हाल में कुछ और स्टूडेंट्स द्वारा अपनी जीवन लीला को खत्म करने के कदम नें चिंता फिर बढा दी हैं। इसमें से तो कुछ अपने मां-बाप की इकलौती संतान रहे हैं।
कोचिंग संस्थानो के माहौल और प्रतिस्पर्धा के दबाव से कहीं ज्यादा यह बच्चों की रूचि-अरूचि का मामला कहीं अधिक लग रहा हैं, जिसे अभिभावक जाने-अनजाने में नजरअंदाज करके अपनी खुशी को अपने ही हाथों नाखुशी में तब्दील करने का काम कर रहें है। हर माता-पिता अपने बच्चों को चमकदार करियर की राह पर आगे बढाना चाहते है। इसके लिए वे हरसंभव प्रयास भी करते है। खुद कई तरह के कष्ट सहकर और अपनी जरूरतों से समझौता करके उनके लिए संसाधन जुटाते है, पर यहां पर सबसे बडा सवाल यह है कि वे अपने बच्चो ंको खुशी के लिए जो उपाय कर रहें है, क्या वह उनके बच्चों के लिए पूरी तरह उपयुक्त है...?
 दरअसल, आज के आधुनिक दौर में भी तमाम अभिभावक अभी भी पारपंरिक सोच से चिपके हुए है। बच्चे का टैलेंट भले ही किसी और दिशा में हो, उन्हें आज भी लगता है कि उनके बच्चें का करियर इंजीनियर बनकर ही सुरक्षित हो सकता है। यह एक तरह से उनकी महत्वकांक्षा ही है, जिसकी बलि-वेदी पर बच्चों को अपनी कुर्बानी देनी पडती हैं। जरा सोचें, अगर कोई माता-पिता अपनी इकलौती संतान पर इंजीनियर बनने की अपनी महत्वकांक्षा थोपते है और इसके इसके दबाव को बर्दाशत न कर पाने के कारण बच्चा कोई दुखदायी कदम उठाता है, तो इसका असर उस माता-पिता पर क्या होगा? अपने इकलौते बच्चें के ना रहने पर बाकी जिंदगी वे कैसे काटेंगे?
बच्चे को किसी भी करियर को अपनाने को दबाव डालने से पहले मां-बाप को इसके हश्र पर भी विचार करना होगा। अपनी इच्छओं-महत्वकांक्षाओं को या समाजिक दबाव से प्रभावित होकर निर्णय लेने के बजाय बच्चे की रूचियों को समझें। देंखे कि उसका स्वभाव, उसकी पंसद-नापंसद किस ओर इशारा कर रही है। आज सिर्फ डाॅक्टर, इंजीनियर या आइएएस बनने को ही सफलता का पैमाना नही माना जा सकता। अब इनसे भी कहीं ज्यादा चमकदार करियर विकल्प सामने है, जिसमें आपका बच्चा खुश रह सकता हैं।
आज के समय में जानकारी हासिल करने के तमाम तरीके है। इंटरनेट नें तो पूरी दुनिया हमारी मुट्ठी में कर दी हैं। अगर आपको लगता है कि आपको अपने बच्चे की पंसद से जुडे क्षेत्रों को जानने समझने की जरूरत है और इसके बिना आप उपयुक्त निर्णय नहीं ले पा रहें है, तो अखबारों, पत्रिकाओं के अलावा वेब पोर्टल्स की भी सहायता ले सकते हैं।

                        लेखक-अरूण श्रीवास्तव



                     साभार-दैनिक जागरण

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