कॉलेज स्टूडेंट्स की वित्तीय दिक्कतों को ध्यान में रख कर शुरू किया गया डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म ‘एमपॉकेट’ बीते तीन सालों में देश के 200 शहरों और पांच हजार से अधिक कॉलेजों में अपनी सेवाओं का विस्तार करने में सफल रहा है। अब तक 5 लाख से अधिक ग्राहक इस एप को डाउनलोड कर चुके हैं। 2018 में इस एप से करीब 180 करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया जा चुका है। आने वाले समय में पेशेवरों, लघु उद्यमियों के लिए नई लोन स्कीम शुरू करने की योजना है। कोलकाता स्थित कंपनी के संस्थापक एवं सीईओ गौरव जालान कहते हैं कि हमें फोकस रहकर काम करना चाहिए। बिजनेस में सफलता के लिए स्मार्ट, जुनूनी और सकारात्मक रहना होगा..
20 साल पहले मैं पढ़ाई के लिए अमेरिका गया था। एमहस्र्ट कॉलेज से इकोनॉमिक्स एवं कंप्यूटर साइंस में स्नातक करने के बाद न्यूयॉर्क के कोलंबिया बिजनेस स्कूल से एमबीए किया। पढ़ाई के बाद मैंने अमेरिका के ही एक शीर्ष मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म से अपने करियर की शुरुआत की। इस तरह करीब आधा दशक इनवेस्टमेंट एनालिस्ट के रूप में बिताया है। इनवेस्टमेंट वल्र्ड के अनुभवों ने ही मुङो अवांत गार्डे वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी के सीईओ और चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर के पद तक पहुंचाया। लेकिन कॉलेज के दिनों के अनुभवों के आधार पर मैंने कुछ अपना शुरू करने का निर्णय लिया और नींव पड़ी ‘एमपॉकेट’ की।
कॉलेज स्टूडेंट्स को क्रेडिट की सुविधारू दरअसल, पढ़ाई के दौरान एक विदेशी स्टूडेंट होते हुए भी मुङो आसानी से क्रेडिट कार्ड मिल गया था। उससे अपने खर्चे को मैनेज करने में काफी सहूलियत हुई थी, जबकि हमारे देश में आज भी किसी कॉलेज स्टूडेंट को उसके रोजमर्रा की छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी वित्तीय संस्था से ऋ ण नहीं मिलता है। लेकिन अब मोबाइल पर उपलब्ध माइक्रो लेंडिंग प्लेटफॉर्म ‘एमपॉकेट’ उनके लिए उपयोगी साबित हो सकता है। स्टूडेंट्स सिर्फ एप पर रजिस्ट्रेशन करके लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। कुछ डॉक्यूमेंट्स ऑनलाइन सब्मिट करने के बाद सूचनाओं को वेरिफाई किया जाता है और फिर एक क्रेडिट कार्ड ऑफर किया जाता है।
स्पर्धा से नहीं लगता डररू फाइनेंस डोमेन का नॉलेज और मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में अनुभवों ने ही मुङो इस क्षेत्र में व्याप्त कमियों को पहचानने और उसका निवारण निकालने में मदद की।
बतचीतः अंशु सिंह
साभार जागरण
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