साक्षरता दर किसी भी देश के विकास का सबसे महत्वपूर्ण सूचक होती है, पर क्या हमारा मकसद सिर्फ साक्षरता दर बढ़ाना है या सही मायने में बच्चों को शिक्षित करना है। बच्चों के संपूर्ण बौद्धिक विकास और उनकी तर्क शक्ति विकसित करने के लिए एक शिक्षक से अच्छा कोई दूसरा विकल्प हो ही नहीं सकता, अतरू यह बात भी काफी आवश्यक है कि शिक्षकों को भी समय-समय पर एक दिशा-निर्देश दिया जाना चाहिए कि बच्चों की पढ़ाई को वास्तविक रूप से सार्थक कैसे बनाया जाए? शिक्षकों को ऐसी व्यवस्था जरूर उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि वे नई शिक्षण पद्धतियों को सीख सकें और बदलते वक्त के साथ बच्चों को कदम से कदम मिलाकर चलने की शक्ति दे सकें।
विवेक कुमार, बंजरिया, मोतिहारी
साभार हिन्दुस्तान
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