दूर हो शिक्षकों की कमी

प्रदेश के सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षिक माहौल बनाने के लिए दिल्ली की तर्ज पर हैप्पीनेस क्लास शुरू करने को लेकर शिक्षा महकमे में मंथन चल रहा है। इस सिलसिले में महकमे की टीम ने बीते दिनों दिल्ली का दौरा भी किया था। इसके बाद तय किया गया कि उत्तराखंड में भी इस फामरूले को आजमाया जाएगा। राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती सरकारी विद्यालयों में तेजी से घटती छात्रसंख्या को थामने की है। हर साल शिक्षा को गुणवत्तापरक बनाने के दावे के साथ कुछ नए प्रयोगों की कार्ययोजनाएं तैयार की जाती हैं, लेकिन इनसे हालात अभी तक नहीं सुधरे। संसाधनों की कमी का आलम ये है कि विद्यालयों में जरूरी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। दूरदराज के विद्यालय शिक्षकों के लिए तरस रहे हैं। बड़ी संख्या में ऐसे विद्यालय हैं, जो सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में भी विषय अध्यापकों की कमी बनी हुई है। लंबे अरसे से कामचलाऊ व्यवस्था के चलते सरकारी शिक्षा के सामने विश्वास का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। अभिभावकों और छात्र-छात्रओं का मोहभंग होने की वजह यही दुरावस्था है। शिक्षा पर सालाना 6200 करोड़ खर्च होने के बावजूद स्थिति सुधर नहीं रही है। ऐसे में दिल्ली सरकार के फामरूले से राज्य के शिक्षा महकमे को आस है। हालांकि इस फामरूले पर अमल अभी टाल दिया गया है। शिक्षा मंत्रलय की प्राथमिकता अभी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने की है। छात्रसंख्या घटने की वजह से कई प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या अधिक हो चुकी है। दस से कम छात्रसंख्या वाले सैकड़ों विद्यालयों को बंद करने के बाद भी शिक्षक सरप्लस हो गए हैं। सरप्लस शिक्षकों को ऐसे विद्यालयों में तैनात किए जाएगा, जहां एकल शिक्षक है अथवा छात्रसंख्या के अनुपात में शिक्षकों की संख्या कम है। आश्चर्यजनक ये भी है कि सरप्लस शिक्षकों का समायोजन दूरदराज के विद्यालयों में किए जाने की कसरत महकमा लंबे समय से कर तो रहा है, लेकिन इसमें दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी आड़े आ रही है। सुगम में तैनात शिक्षकों को दुर्गम या दूरदराज में भेजने में सरकार और महकमे, दोनों के ही दम फूल रहे हैं। ऐसे में विद्यालयवार जरूरत के मुताबिक शिक्षकों के समायोजन सिर्फ दिखावा साबित हो रही है।


साभार जागरण

Comments (0)

Please Login to post a comment
SiteLock
https://www.google.com/url?sa=i&url=https%3A%2F%2Fwww.ritiriwaz.com%2Fpopular-c-v-raman-quotes%2F&psig=AOvVaw0NVq7xxqoDZuJ6MBdGGxs4&ust=1677670082591000&source=images&cd=vfe&ved=0CA8QjRxqFwoTCJj4pp2OuP0CFQAAAAAdAAAAABAE