औचक निरीक्षण में गायब मिले शिक्षक। समय से पूर्व कर दी गई छुट्टी, घटिया स्तर का दिया जा रहा है मिड-डे मील। रोजाना इस तरह के शीर्षकों से समाचार पत्र भरे रहते हैं। यह बताने के लिए काफी है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। व्यवस्था में सुधार की बात अब तक सरकारें करती आई हैं। इसके लिए कई विद्यालयों को मॉडल बनाया गया है। लेकिन उनके हाल प्राथमिक विद्यालयों से बदतर हैं। बताया जा रहा है कि मॉडल विद्यालयों में मॉडल जैसा कुछ भी नहीं हैं। अधिकांश विद्यालयों में शिक्षक ही नहीं हैं। कंप्यूटर आदि धूल फांक रहे हैं। बच्चों के बैठने के लिए मेज कुर्सियां नहीं है। इससे साफ पता चलता है कि सरकारें प्राथमिक शिक्षा के प्रति संवेदनशील है। वहीं सरकार की इसी लापरवाही का खामियाजा जनता को उठाना पड़ रहा है। वह पेट काटकर पब्लिक स्कूलों की मोटी फीस भरने को मजबूर हो रहे हैं।
अमित शर्मा, ऋषिकेश
साभार जागरण
Comments (0)