मई में सूरत के एक कोचिंग संस्थान में आग लगने की दिल दहलाने वाली घटना में 20 से अधिक छात्रों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसके बाद भी कोचिंग सेंटर्स और विधालयों में आग लगने की घटनाएं देश के अलग-अलग हिस्सों से आई। परंतु अब भी यही लगता है कि केंद्र और राज्य सरकारों की तंद्रा नहीं टूटी। आखिर क्यों सरकारों और संबंधित विभागों ने इसे रोकने के लिए ऐसे नियम तैयार नही किए, जिनका पालन न होने पर कोचिंग संचालकों या स्कूल प्रशासन को सीधे जेल भेजा जा सके? क्यों सूरत के अग्निकांड से समस्त राज्य सरकारों ने अब तक सबक नहीं लिय? आखिर कब तक विधार्थी अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर होंगे? अगर अब भी राज्य सरकारों एवं संबंधित विभागों ने सख्त फैसले नहीं लिए, तो आने वाले समय में हम कोई अन्य गंभीर हादसों के गवाल बनेंगे। उस वक्त सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप करने के अलावा हम कुछ नहीं कर पाएंगे।
विमल शर्मा, नई दिल्ली
साभार हिन्दुस्तान
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