हमारे देश में ‘साक्षरत-दर’ की गूंज सदैव सुनाई पड़ती है। लेकिन अब समय आ गया है कि ‘शिक्षित-दर’ पर विचार किया जाए। ‘साक्षर’ यानी अक्षर का ज्ञान। ‘शिक्षित’ यानी शिक्षा के क्षितिज पर पहुंचना। आजादी के सात दशकों के बाद भी हम साक्षरता दर का ही ढिंढोरा पीटते रहे, तो हमारा देश विकासशील देश से निकलकर कब विकसित देशों की श्रेणी में पहुंचेगा ? नई बहुमत वाली सरकार से हम इसकी अपेक्षा कर सकते है। सच तो यह है कि ‘स्किल इंडिया’ का नारा तब तक सफल नहीं होगा, जब तक कि ‘शिक्षित दर’ में वृद्धि का पैमाना तैयार नहीं किया जाएगा। इससे रोजगार के अवसर स्वयं बढ़ेंगे और देश विकास की ऊंचाइयों पर चढ़ने में सक्षम होगा।
संजय चंद, न्यू एरिया, हजारीबाग
साभार हिन्दुस्तान
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