उत्तराखंड हिमालयी राज्यों में फैकल्टियों के अभाव के बावजूद भी उच्च शिक्षा की श्रेणी में सर्वोच्च पायदान पर है। यहां महाविद्यालयों में हर जनपद में प्रत्येक राजकीय महाविद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालयों में भवन से लेकर प्राध्यापकों की कमी है। लेकिन संसाधनों के अभाव में बेहतर परिणाम निकलना कहीं न कहीं यहां के छात्रों की बौद्धिक क्षमता का परिचायक है। चुंकि यहां की विषम भौगोलिक परिस्थितियां होने के चलते छात्र कड़ा संघर्ष करते हैं। बावजूद इसके सरकार यहां प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा पर जरा भी गौर नहीं कर रही है। महाविद्यालयों की दुर्दशा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्राध्यापकों, भवन, प्रयोगशाला की मांग के लिए छात्र-छात्रओं को कई बार सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना पड़ता है।
शिवदेव आर्य, गुरुकुल पौंधा, देहरादून
साभार जागरण
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