शिक्षा में मिड-डे मील की भूमिका

सुधीर कुमारदेश में नौनिहालों के पोषण, स्वास्थ्य एवं साक्षरता के स्तर को उन्नत करने के उद्देश्य से शुरू की गई मध्याह्न् भोजन (मिड-डे मील) योजना को एक सफल योजना के तौर पर देखा जाता है। इससे ग्रामीण भारत के सामाजिक बदलाव पर सकारात्मक असर पड़ा है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय द्वारा जारी 2014-15 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मिड-डे मील के माध्यम से देश के 10.80 करोड़ बच्चों को फायदा हुआ है। जाहिर है अगर यह योजना शुरू नहीं की गई होती तो इनमें से अधिकांश बच्चे स्कूली शिक्षा से महरूम ही रह जाते। इससे उनका मानसिक विकास अवरुद्ध होता और वे विकास की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाते!मिड-डे-मील योजना ने शिक्षा जगत में कई क्रांतिकारी परिवर्तनों की आधारशिला रखी है। सामाजिक-आर्थिक समानता को समाज में पुनरू स्थापित करने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। भले ही देश का शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) 6-14 वर्ष के बच्चों को स्कूल में अनिवार्य एवं निरूशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने की बात करता है, लेकिन गरीबी और बेकारी की गिरफ्त में जकड़े परिवार को इतना सोचने का वक्त कहां? कहीं-न-कहीं ये विपरीत परिस्थितियां ही बालश्रम एवं अशिक्षा जैसी कुरीतियों को संरक्षण प्रदान करती हैं। लेकिन मध्याह्न् भोजन योजना के प्राथमिक विद्यालयों में लागू होने के बाद एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। अब थाली लेकर ही सही बच्चे विद्यालय पहुंचने लगे हैं। यह स्थिति इसलिए सुखद है, क्योंकि अब बच्चे उन अभिशप्त परिस्थितियों से मुक्ति तो पा रहे हैं, जिसमें उन्हें अपने बचपन को दांव पर लगाने को विवश होना पड़ता था। विद्यालय में उपस्थित रहने से कुछ शब्द तो उनके कान में पड़ ही जाते हैं। साथ ही प्रतिदिन विद्यालय जाने के लिए बच्चा अभ्यस्त तो हो रहा होता है। नियमित विद्यालय जाने से बच्चे न सिर्फ भोजन ग्रहण कर रहे हैं, बल्कि अनुशासन, खेल, सहयोग एवं सम्मान की भावना तथा नेतृत्व के गुण भी सीख रहे हैं। व्यक्तिगत विकास के अलावा बच्चे सामाजिक तौर पर भी परिपक्व हो रहे हैं। छोटी उम्र से ही ये बच्चे धर्म, जाति, संप्रदाय एवं परिवार आदि में विभेद किए बिना एक साथ भोजन कर रहे हैं और खेल भी रहे हैं। इससे आने वाले समय में देश में सामाजिक-आर्थिक भेदभाव तथा असमानता की दीवारें निश्चित तौर पर टूटेंगी!मध्याह्न् भोजन योजना अपने आप में एक अनोखी योजना है। भारत में प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की कुल तादाद के 79 फीसद बच्चों को मध्याह्न् भोजन उपलब्ध कराया जाता है। महत्वाकांक्षी मध्याह्न् भोजन योजना बहुत हद तक सफल है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मिड-डे मील योजना ने समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य बहुआयामी है। मिड-डे मील से जुड़ी अनियमितता पर रोक लगाने के लिए नियमित मॉनिटरिंग की जानी चाहिए। मध्याह्न् भोजन की गुणवत्ता एवं व्यवस्था में सुधार की जाए तथा इस योजना के संचालन की जिम्मेदारी भरोसेमंद लोगों को सौंपी जाए तो तस्वीर बदलती देर नहीं लगेगी!


(लेखक बीएचयू में अध्येता हैं)
साभार जागरण

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