लगातार पांचवें साल सीबीएसई की 12वीं परीक्षा में लड़कियां अव्वल रहीं। इनमें वे लड़कियां भी हैं, जो प्राइवेट स्कूल को छोड़कर सरकारी स्कूल से पढ़ीं। उनकी उपलब्धि न सिर्फ दूसरों के लिए प्रेरणादायी है, बल्कि लड़कियों को न पढ़ाने वाली सोच और विचारधारा को बदलने में भी सहायक साबित होगी। यह सच है कि लड़कियां अपने आप को साबित करती आ रही हैं, लेकिन जैसे-जैसे वे आगे बढ़ती हैं, उनकी सफलता का प्रतिशत कम होता चला जाता है। इसके कई कारण हैं, जैसे परिवेश, संकुचित मानसिकता, कम उम्र में शादी-ब्याह, पारिवारिक जवाबदेही आदि। इन कारणों को विचारकर सुधार जरूरी है, क्योंकि लड़कियां केवल शिक्षित नहीं हो रही हैं, वे संस्कार को भी साथ-साथ आगे ले जा रही हैं। आज के दौर में संस्कार युक्त शिक्षा ही जरूरी है।
विकास पंडित, सेंधवा
साभार हिन्दुस्तान
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