बोर्ड परीक्षाएं सिर पर हैं। ऐसे में कई छात्र परेशानियों से जूझ रहे हैं। प्रदेशभर में कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां शिक्षकों की कमी बनी हुई है। ऐसे में ये छात्र कई विषयों की पढ़ाई नहीं कर पाए हैं। इसके कारण अब उन्हें बोर्ड के परीक्षाफल की चिंता सता रही है। हर साल सरकारों की ओर से शिक्षा का स्तर सुधारने और शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने का दावा किया जाता है। लेकिन, यह दावा अक्सर झूठा साबित होता है। इसका खामियाजा अक्सर छात्र-छात्रओं को भुगतना पड़ता है। इस दिशा में प्रयास की जरूरत है, लेकिन देखने में आता है कि सरकारें अपनी जिम्मेदारी नहीं समझती और भविष्य संवारने की दिशा में कोई पहल नहीं करते। जबकि, किसी भी प्रदेश की सरकार की प्राथमिकता अपने लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना होना चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार, सड़क आदि की सुविधा तो कम से कम नागरिकों को मिलनी चाहिए। समझने की आवश्यकता है कि बिना शिक्षा के आज के दौर में कैसे कोई युवा अच्छी नौकरी कर पाएगा और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम हो पाएगा। बिना शिक्षा के तो आज के समय में युवाओं के भविष्य की कोई कल्पना ही नहीं की जा सकती है। सरकार को इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे और कम से कम शिक्षा को तो मजबूत ढांचा तैयार करना होगा।
हेमा नेगी, देहरादून
साभार जागरण
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